निर्वाण
पा लेगी अंततः वो निर्वाण,
जीवन के अंत में...
क्या जीवन के अंत के साथ?
फ़िर जीवन का क्या?
बालकाल से वयस्क फ़िर
वृद्ध अवस्था तक क्यों
न मिली उसे एक क्षण की
भी शांति,
क्या यह आनंद का भ्रम
किसी विष सा उसके
शरीर में घुलते घुलते
उसे समाप्त कर गया है?
उसमें ऊर्जा विगम होती
प्रतीत होती है,
किसी अंत की प्रथम
सीढ़ी सी??
-
जिस मनुष्य को एक मछली
पकड़ने के लिए भी
कर्म करना पड़ता है,
वो किस ज्ञान पर अभिमान
किए बैठा है,
जब पेट में भूख की आग
मचलती है,
तब ज्ञान सारा शून्य हो
जाता है।-
एक पक्षी से भी जब
तक विनम्र न हो बात
नहीं हो पाती है,
न वो पास आता है
न उससे दोस्ती हो
पाती है।।
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उद्भूत
सावन के साथ कोपल है फूटी
जन्म नया है हुआ,
जीवन की व्याख्या है लिखी
नया सृजन है हुआ,
पुष्प,वृक्ष और पक्षी झूमने
लगे है,
किसी कवि के द्वारा एक
कविता आलेख है हुआ।।-
क्या खोया क्या पाया है,
अतीत खंगाल के भी
कुछ भी हाथ न आया है,
जहां से शुरू किया था
आज भी जैसे वहीं जमीं
हूं,कुछ भी हाथ न आया है,
इसका हिसाब किताब कब
तक करें,जो बोया था
वहीं तो सच में पाया है।।-
मैंने खोज लिया स्वयं को
या अभी पथ और शेष है,
क्या संतुष्ट हो गई हूं अब
या और भी परीक्षा शेष है,
सारी इच्छाएं पूर्ण हो गई,
या कुछ और वेदना शेष है,
चलते चलते क्या से क्या हो
गई और क्या बचा शेष है।।
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नीतू के पिता के स्थानांतरण के शायद चार वर्ष बाद सीमा का जामनगर आना हुआ है।वो भी दादी जी की ज़िद थी कि हम को सोमनाथ जाना है इसलिए...सीमा की दादी का चेहरा ही इतना मनमोहक है कि उनके पास से हटने के मन ही नहीं करता है।
गोल चेहरा सिर पर सफ़ेद चाँदी से चमकते बाल।वो जब बालकनी में आईं तो वहां लगा तुलसी का पौधा देख वहीं बैठ गई नीतू का हाथ पकड़ के और सुनाने लगी कुछ किस्से कुछ कहानियां.... कुछ सत्य कुछ असत्य।।-
इस वर्ष कंपनी के द्वारा भेजे गए प्रोटोकॉल के हिसाब से पर्यावरण दिवस पर मोहित का आंगनबाड़ी में फ़िर से जाना हुआ। इस बार शिक्षिका भी कोई और थी और बच्चे केवल चार थे।बीते वर्ष जब यहां आना हुआ था तब यहां दस बच्चे थे।आंगनबाड़ी की खिड़कियों से बाहर झांकते बच्चों ने जब देखा कि कोई बड़ी गाड़ी में आया है तो सभी उत्सुक हो गए।
मोहित ने शिक्षिका को अपने कार्य की जानकारी दी और सभी बच्चों की ओर देख के मुस्कुरा के चले गए।
दूसरे दिन मोहित और ऑफिस के कुछ लोग स्टेशनरी किट ले कर वहां पहुंचे।चमकती आंखों से बच्चे उस किट को देख रहे थे।
सभी बच्चों को किट दे कर और चीकू,अनार और नींबू के पौधे वितरित कर के मोहित और ऑफिस के सभी लोग वापस हो गए।उन बच्चों की आंखों और उंगलियों में रंग दे कर...-
Anarthria literalis
How difficult is to
understand the unspoken
words,
Just meet a person
with speaking disabilities,
Like how they feel,
In crowd where they stand,
When one won't be able to
communicate,
They can't explain their
feelings and just
being in illusion of perfection,
They just lead their life
as they lead.
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आगुंतक
एक फूल की डाली को
प्रेक्षक बन के देखना कितना
सुखद है,
किसी चांदनी में उलझी
हुई भावनाओं जैसे कितना
प्रेरक है,
दृश्यदर्शी होते संसार में
हृदय स्पर्शी बातें करता कितना
संवर्धक है।।-