जो लहरों से आगे नजर देख पाती, तुम जान लेते कि मैं क्या सोचती हूं..
वह आवाज़ अगर तुमको भी भेद जाती, तो तुम जान लेते मैं क्या सोचती हूं..
जिद का अगर जो तुम्हारे पर्दा सरकता, खिड़कियों के आगे भी तुम देख पाते ..
आंखों से आगे अगर आदतों के पर्दे हटाते तो तुम जान लेते, मैं क्या सोचती हूं...-
पेशेसे सायर तो नहीं, फिर भी हाल-इ-दिल सलीक़े से ... read more
Mara pachi ene ghanu e che
Mare to Eni agad ke pachad Kai j nathi...
eni darek taklif jane mari che pan
e to mne sambhale e kya che ......
Mne yaad nathi ke tame jamya em puchyu na hoy Ane
enu puchavanu to Haji baki j che....
Eni bimari ni khabar sathe prathna nikale ke ena darek dukh bhagvan mne aape ne...
Ahiya... hu bimar padu ne samjave ke hu j mandagi chu
Prem to pahelo nathi pan atlu koi ne sachavyu nathi...chaatay ...
Nikali j Jay che ke tane kya farak pade che ...
Hu Prem karu chu sachu... pan...
Mne maryada aapi de Tara vagar ketala divas.....-
ચાહ્યું એના કરતાં ઓછું પામ્યું છે પરંતુ
મને ખુશી એ વાત ની છે મેં સ્વીકારતા શીખ્યું છે
ખૂટયું છે જે એના પર અધિકાર કંઈક મારો છે
મને રંજ કરતા ખુશી બમણી છે મે સ્વીકારતા શીખ્યું છે-
रह जाती कुछ बातें ख्यालों मे भी
बिन जाहिर कुछ जवाबों मे भी
कहने को पूरी दास्तान है बस सुनाना बाकी!!
होठों पर आकर ठहर गए कुछ इजहार जैसे!!
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उसे समझने मे कहा वखत लगा ..
वक़्त लगा तो समझदार बनने मे लगा।
अब समझदारी यू गहरी हो गए..
ना नादानीऑ की जगह बची
ना इश्क को पनाह मीली .....-
जो हाथों में हो सही,
पर ना हो लकीरों मे ...
वो मजबूरी नहीं,
मोहब्बत भी होती हैं..-
देखो बर्फ जम ने लगी है
क्यूँना उससे पहले हम पिघल जाए....
देखो यहां नर्मी तो बाहर सर्दी है
तुम मेरे पास ही थहर जाओ, आज मुझमें घुल जाओ ....-
इन ख़यालों को मे इश्क केहलु
इतना मतलबी में नहीं...
हुआ नहीं जो अब तलक
भला जिक्र भी क्यूँ करे...
आजाद है हम दो परिंदे
रंगीन आसमान में ....
मुझे चाहत है सादगी से
फिर रंगों में क्यू घुले....
इन ख़यालों को मे इश्क केहलु
इतना मतलबी में नहीं...
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