ज़ख्म हमारा तो उम्मीद - ए - मरहम क्यूँ किसी और की दरकार हो,
दर्द में रह लेंगे बेशक़ कोई हाल पूछे हमें क्यूँ भला ये इसरार हो।।-
29 JAN 2020 AT 17:29
ज़ख्म हमारा तो उम्मीद - ए - मरहम क्यूँ किसी और की दरकार हो,
दर्द में रह लेंगे बेशक़ कोई हाल पूछे हमें क्यूँ भला ये इसरार हो।।-