Faizz Shaikh   (فیض Faizz)
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Joined 21 October 2017


Joined 21 October 2017
25 JUN 2023 AT 19:27

दिन निकलता है और गुज़रता है
और फिर रात ढलती रहती
ज़िन्दगी ख़त्म हो गई कब से
अब फ़क़त साँस चलती रहती है

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25 JUN 2023 AT 19:24

जो भी थी ख़ुशियाँ मेरी आँखों का पानी बन गई
ज़िंदगी मेरी उदासी की कहानी बन गई

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17 JUN 2023 AT 17:44

किसको सुनाए हाल हम अपना पता नहीं
कैसे कटेगी ज़िंदगी तन्हा पता नहीं

इक भीड़ इर्दगिर्द है अपना कोई नहीं
क्या हो गया वो आश्ना चेहरा पता नहीं

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3 APR 2022 AT 10:56

नज़र से कुछ पिला मुझे तू फ़ैज़याब कर मुझे
मैं बुझ गया जला मुझे फिर आफ़ताब कर मुझे

तेरी नज़र के हर हुनर की है ख़बर मुझे मगर
दिखा नया हुनर कोई तू ला जवाब कर मुझे

तू नूर की क़िताब है, है लफ़्ज़ लफ़्ज़ नूर तू
तू अपने लफ़्ज़ दे के अपनी सी किताब कर मुझे

हक़ीक़तों में यूँ भी जी नहीं लगे मेरा अभी
बसा ले अपनी आँखों मे तू ख़्वाब ख़्वाब कर मुझे

लगा ली आदतें बुरी ये ताने सुन रहा हूँ मैं
ये बात सच है गर तो फिर तू और ख़राब कर मुझे

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11 MAR 2019 AT 19:51

गुज़रा जो सानेहा तो ख़बर आँख को न दी
हम रोए खुलके आँख को रोने नही दिया 

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19 FEB 2019 AT 19:31

मुझे अंजाम मालूम है कहानी का क्या होना है
मगर फिर भी मुझे आखिर के पन्ने देखने होंगे

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23 NOV 2018 AT 11:26

शमा जलती है परवाना भी उसमे जलता रहता है 
मोहब्बत में कहाँ बचने का कुछ इमकान होता है 



मेरी खामोश आँखों का अलग ही तर्जुमा निकला
जो कहना चाहता था मैं वही बस गुमशुदा निकला



नहीं दरकार है लब को मेरे मुस्कान की शायद
मैं जब भी हसने जाता हूँ मैं खुलके रोने लगता हूँ

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20 NOV 2021 AT 10:14

खोने के बाद भी उसे खोया है देर तक
दिल भी अजीब है मेरा रोया है देर तक
नींदों को दिल ने कर दिया सब रतजगों के नाम
बस उसके ही ख़याल में सोया है देर तक

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6 NOV 2021 AT 8:55

हर घड़ी हर पहर याद आते हो तुम
शाम हो या सहर याद आते हो तुम
कितने दिन से तुम्हे हमने देखा नहीं
कहती है ये नज़र याद आते हो तुम

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6 NOV 2021 AT 8:51

ये माना हाँ मुझे सारा जहाँ आवाज़ देता है
मगर मेरा जहाँ मुझको कहाँ आवाज़ देता है

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