तुम शहर से दूर हो क्या, फोन क्यों लगता नही है
हाल पर मग़रूर हो क्या, फोन क्यों लगता नही है
एक सदी से अंजुमन ने कुफ्र के कलमे पढ़े हैं
तुम कहीं की हूर हो क्या, फोन क्यों लगता नही है
इस जहां में फ़िक्र ने भी बादशाहत को चुना है
तुम सनम मजबूर हो क्या, फ़ोन क्यों लगता नही है
नूर वालों के मकां में रंज का एक एंटिना है
तुम सभी बे नूर हो क्या, फ़ोन क्यों लगता नही है ।
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