ये जो दिसंबर है आख़िर है इस साल का,
अभी बाक़ी हैं कुछ और महीने,
कुछ और वक़्त जीने को ।-
ये जो गूँजते सन्नाटे हैं सब के अंदर
कोई दर्द कुछ ग़म छुपे हैं इनके अंदर
कुछ ने क़ुबूल लिया खामोशी सब
कुछ ढूढ़ रहे हैं मायने इनके अंदर-
अंधेरा माँगने आया था रौशनी की भीक
हम अपना घर न जलाते तो और क्या करते-
दिल का सुकून चला गया ,
दिल से सुकून चला गया ,
अब रही न मोहब्बत दिल में ,
सभी से मोहब्बत चला गया ।-
तेरी चाहत छुपाये बैठा हूँ,
सीने से दर्द लगाये बैठा हूँ,
सदियाँ गुज़र गई इंतेज़ार में,
तेरी यादों में वक़्त भुलाये बैठा हूँ।-
ढूँढते रहे ता-उम्र मंज़िले अपनी,
कुछ क़दमों के निशा और,
अधूरे ख़्वाब नज़र आते हैं।-
निभा रहे हैं सब बख़ूबी से अपने क़िरदार को,
हर शख़्स यहाँ एक कहानी का क़िरदार लगता है…-
ज़िंदगी के कुछ पनों को कोरा ही रहने दिया,
सायद उनपे कुछ न लिखना ही वाज़िब था।-
एक साँस सबके हिस्से से
हर पल घट जाती है,
कोई जी लेता है ज़िंदगी
किसी की कट जाती है।-
बस एक लम्हा और फिर लम्हों की गुज़ारिश,
कुछ ऐसा असर हुआ तेरे मुलाक़ात का।-