Faiz Ahmad   (फ़ैज़ अहमद)
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Joined 1 December 2017


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Joined 1 December 2017
13 JUN 2021 AT 22:33

मुस्कुराने की हसरत है दिल में।
मुद्दातों से बस हंस रहे हैं हम ।।

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2 APR 2021 AT 14:59

मैंने बहुत देखा है ज़माने के खुदाओं को।
वक्त ने सबको तोड़ा है मगर बुतों की तरह।।

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23 DEC 2020 AT 21:41

इस जीवन मे मुझसे इमोशन्स की सौदेबाज़ी तो नही हो पाएगी, क्योंकि ज़िन्दगी ने इसके लिए मुझे पांचवे दिन का समय दिया है जबकि उसकी खुद की उम्र बस चार दिन की है।

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1 DEC 2020 AT 21:10

काश! रब के यहाँ भी कुछ ऑफर होता,
ताकि मैं ज़िन्दगी के बचे हुए साल देकर तुम्हारे साथ के कुछ लम्हे एक्सचेंज कर लेता।

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1 DEC 2020 AT 20:56

मैं चलते चलते उनके इतने नज़दीक चला गया।
की नजदीकियां ही खत्म कर दी इस सफर ने मेरी।।

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28 NOV 2020 AT 19:31

वो एक ही ताजिर था जहां में शायद।
सुकूं गिरवी रखा था जहाँ मैंने अपना।।

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24 NOV 2020 AT 16:07

उन्होंने खूब सबको सुनाए अपनी वफ़ा के किस्से।
मुझसे नज़र क्या मिलाई की नज़र ही झुक गयी।।

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12 NOV 2020 AT 13:17

कुछ रिश्तों को यूं भी निभा दिया उसने।
दाने डालकर भी परिंदे उड़ा दिया उसने।।

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6 NOV 2020 AT 8:00

ये नाज़ नखरा, ये हुस्न ये अदा सब संभाल रखना।
मैं फिर वापस आऊंगा, तुम अपना ख्याल रखना।।
जब हम ही ना होंगे तो अंधेरे में दिलासा कौन देगा।
बस उजाले के ही खातिर जुगनुओं को पाल रखना।।



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3 NOV 2020 AT 8:02

शब-ओ-रोज़ बस यही तमाशा देखता हूँ मैं।
दिल अपना जला कर उजाला देखता हूँ मैं।।

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