सोने में कभी सुकून हुआ करता था, आजकल तो सिर्फ़ नींद पूरी करने की बात होती है। -
सोने में कभी सुकून हुआ करता था, आजकल तो सिर्फ़ नींद पूरी करने की बात होती है।
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हमें अपने पास भी बुलाती है वो,दीदार कराए बिना ही दूर चली जाती है वो,कम्बख़त बड़ा सताती है वो। -
हमें अपने पास भी बुलाती है वो,दीदार कराए बिना ही दूर चली जाती है वो,कम्बख़त बड़ा सताती है वो।
सवारें भी तो सवारें कैसे, बिगाड़ा जो हमने खुद है। -
सवारें भी तो सवारें कैसे, बिगाड़ा जो हमने खुद है।
शक़ है कि हम दोनों को एक दूसरे से इश्क़ बेशक़ है। -
शक़ है कि हम दोनों को एक दूसरे से इश्क़ बेशक़ है।
दिमाग़ है कि जद्दोजहत में लगा हुआ है, और एक दिल है जो कम्बख़त इश्क़ करने में लगा है। -
दिमाग़ है कि जद्दोजहत में लगा हुआ है, और एक दिल है जो कम्बख़त इश्क़ करने में लगा है।
हिसाब किताब में इतने मशगूल हो गए हम, कि पता ही ना चला तुमसे दूर हो गए हम। -
हिसाब किताब में इतने मशगूल हो गए हम, कि पता ही ना चला तुमसे दूर हो गए हम।
वो दिल भी पुराना है, वो घर भी वीराना है, पर क्या करे इस दिल को उन दोनों से ही तो याराना है। -
वो दिल भी पुराना है, वो घर भी वीराना है, पर क्या करे इस दिल को उन दोनों से ही तो याराना है।
यूं ही घर बैठे बैठे समय बिता रहे हो, पल पल की खबरें देकर बस हमें सता रहे हो। -
यूं ही घर बैठे बैठे समय बिता रहे हो, पल पल की खबरें देकर बस हमें सता रहे हो।
सोंच सोंच कर ख़ुद को बिखेर रहा हूं, वक़्त निकाल कर आओ कभी हिसाब लगाने। -
सोंच सोंच कर ख़ुद को बिखेर रहा हूं, वक़्त निकाल कर आओ कभी हिसाब लगाने।
शक़ उन्हें भी था, शक़ मुझे भी था, इश्क़ का मर्ज़ थोड़ा उन्हें भी था, थोड़ा मुझे भी था। -
शक़ उन्हें भी था, शक़ मुझे भी था, इश्क़ का मर्ज़ थोड़ा उन्हें भी था, थोड़ा मुझे भी था।