Faeem saifi मुसाफ़िर   (M_F_Saifi_writings)
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Joined 13 April 2020


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Joined 13 April 2020

कुछ ख़्वाब अधूरे रहते हैं,
अधूरे रहना भी जरूरी हैं।
लोग जद्दोजहद तो करते है,
अपने अधूरे ख्वाबों को पूरा करने में।

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की आगे
सफर का मंजर कैसा है?
मुसाफ़िर यूँ ही बढ़ते जाते हैं जानिबे मंज़िल,
हो अगर हमसफ़र साथ में
तो पूछ लेते है कि हाल कैसा है?

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मैं तन्हा नहीं रहता,
उसकी यादें हमेशा मेरे साथ रहती है,
गर रहना भी चाहूँ तो,
उसकी यादें मुझसे बात करती है।

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आज मुझे बहुत दुख हुआ ये जान कर की,
उसने भी मुझे अपना नही समझा
जिसे मैं अपना समझता था।

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हिन्दी हैं हम, हिंदी हमारी शान है,
हिंदी से ही हम सब की पहचान है,
जिस सरजमीं पर हम पले बढ़े,
उस सरजमीं का नाम हिंदुस्तान है।

सभी देशवासियों को हिंदी दिवस की
तहे दिल से मुबारकबाद।

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मेरी मोहब्बत को तू यूँ बदनाम न कर,
न जाने कितने बदनाम हो गए मुझको बदनाम करने वाले।

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आज़ाद हो कर भी हम आज़ाद नहीं हैं,
अपना कर्तव्य, अपना फर्ज़ हमें याद नहीं हैं,
जकड़े हुए हैं हम गुलामी की जंजीरों से,
आज़ाद हैं हम पर दिलों में भरी नफरत से आज़ाद नहीं हैं।

यौमे आज़ादी की मुबारकबाद।

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किसी को इतना चाहने लगते हैं कि
उसके छोड़ कर चले जाने के बाद भी उससे प्यार करते हैं,
और उसके वापिस आने का इंतजार करते है
हाल अपने दिल का न किसी से कहते हैं,
हमेसा उसकी यादों में खोये रहते हैं।

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मैं झूट नहीं बोल रहा।
मैं आज भी तुमसे इश्क़ करता हूँ।
मैं तेरे सिवाए किसी से इश्क़ नहीं कर सकता।
मैं उसके सामने ऐसे बोलता रहा और
वो मुझसे दूर चली गई।
उस दिन के बाद से मैने कभी किसी से इज़हार नहीं किया अपनी मोहब्बत का।

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की मुझे तुमसे अब इश्क़ नही रहा।
तुमसे इतनी दूर चला जाता कि तुम्हे
चाह कर भी याद न आ सकूँ।

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