दरिया है, सागर से जुड़ जाना है
दरिया को कभी तुम नहीं मोड़ सकते
तुम्हें तो उसके संग मुड़ जाना है
अगर सिर्फ़ कदम हैं तो धरती पर है
पंख है तो उड़ जाना है
पहले से ये राह तय है
तुम्हें तो चलते जाना है
तय नहीं है तो तेरा जीने का तरीक़ा
लू है ज़िंदगी तो खुद को शीतल करना है
कोहरा है तो जलते जाना है-
रमन शिकायत ना कर किसी से
हर ख़्याल यहाँ मगरूरी है
ये दुनिया एक रंगमंच है
यहाँ हर किरदार ज़रूरी है
दूसरों के लिए जीना आता नहीं
फ़ायदा मेरा भी तो हर अर्ज़ी को मंजूरी है
जो यह विश्वासपात्र वही हास्यपात्र भी
यहाँ जीने का ये तरीक़ा बदस्तुरी है
ज़िंदगी का ना आग़ाज़ हाथ में ना अंजाम हाथ में
ये जितनी पूरी है उतनी ही अधूरी है
जमाने की कुछ सचाई मुँह पे ले के चलो
किसको लम्बी उम्र ज़रूरी है
ख़ुदा से डर कर सही कर्म करते हो तुम
माफ़ करना मगर ये तो जीहुज़ूरी है-
Look out to the world for questions and look into yourself for the answers.
-
सुबह खिलाया करती थी माँ जब
तो फिर खाने को दोपहर नहीं आता
गाँव में थोड़ी ज़मीन और होती
तो कमाने को मैं शहर नहीं आता
कभी पुछ तो लो मुझसे मेरी मर्ज़ी
गाँव में हूँ तो क्यू वक्त ठहर नहीं जाता
मैं तो उस मिट्टी से हूँ
जहाँ दरिया नहीं जाती, नहर नहीं जाता
सुहागन धरती वहाँ विधवा सी रहती है
जब तक बेवफ़ा सावन लहर नहीं जाता-
ये ज़िंदगी मेरी एक वो नगमा, जिसमें साज नहीं
हम कल शायद तुम्हें भूल जाए, मगर आज नहीं-
मेरा हाल ऐ ज़िंदगी ना पूछ रमन।
कैसे कहूँ?
क्यों दरिया में प्यासा हूँ मैं??-