अच्छा सुनो न...
वक़्त निकाल कर ज़रा हमे भी सुन लेना,
क्या पता कल को आपके पास वक़्त रहे पर हक़ नही।
बातो को मेरी बिना सुने मुझ में ही दफ़न न कर देना,
क्या पता कल को कहने को बहुत कुछ रहे पर हम नही।
चलो मिलकर तय करते है सफर ये ज़िन्दगी का,
क्या पता दुबारा ये मौका मिले या नही।
जो करू समझौता मैं कभी तो तुम भी साथ दे देना,
क्या पता कल को सिर्फ उम्मीद रहे पर लौटने की वजह नही।
गर जो रुठु कभी तो तुम मना लेना,
क्या पता कल को तुम्हे कोई सताने वाला हो ही नही।
यू तो सामना कर सकते है हर मुश्किलों का,
पर तेरे बिना जीत नही।
अहम् को अपने कुछ पल के लिए दूर कर टूटते रिश्ते को बचा लेना,
क्या पता कल को सिर्फ अफ़सोस रह जाये पर ये रिश्ता नहीं।
-