Erase Boundaries   (Shee)
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कोई धड़कता है आज भी दिल में, ना कम हुआ ना कम हो पाएगा कभी भी
Joined 27 October 2020


कोई धड़कता है आज भी दिल में, ना कम हुआ ना कम हो पाएगा कभी भी
Joined 27 October 2020
7 APR 2023 AT 5:30

और अब उसकी वफ़ाई मेरा दम घोट रही है। वो इश्क़ में है पर मेरे नहीं। वो बेकरार है पर मेरे लिए नहीं। मैं इस एहसास से डूबती जा रही हूँ।
ना बताने की ख़्वाहिश है ना नाराज़ होने का कोई इरादा।
उस पर इल्ज़ाम भी नहीं है कोई
शायद मैं कम थी मेरे एहसास कम थे।
मौन हो चुके हैं हर एक सवाल मेरे, पैरों के नीचे से ज़मीन ही छीन ली किसी ने।
और मेरा पागलपन आज भी कह रहा है मुझ से कि जब उसको मालूम होगा कि मुझे सब कुछ पता है तो उसको कितना दुःख होगा, वो परेशान हो जाएगा।
बस यही सोच कर अंजान बनी हूँ
इश्क़ है या पागलपन पता नहीं

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27 JUN 2022 AT 15:46

याद बिल्कुल भूख सी हो गयी है
जिसको बुलाने की ज़रूरत नहीं है
वो तो ख़ुद ब ख़ुद आ जाती है
और फ़िर मिटती भी नहीं
कुछ दिनों में आदत लग जाती है
पर फ़िर ये आ जाती है
तू मुश्किल बना गया मेरी ज़िंदगी
तू है ही कहाँ सुनने के लिए
बिना तेरे सादे से गुजरते हैं दिन
चोरी करना भी छोड़ दिया
वक़्त को मेरी शराफत पर शक़ है
कि एक दिन, मैं फ़िर से खुशियों के
लम्हें चुरा ले जाऊंगी ।

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23 JUN 2022 AT 17:20

But u don't even realise.

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22 JUN 2022 AT 16:15

कि अब तुझ से मिलने का, ये ख़्वाब हक़ीकत करना है।
कि अब तेरी आवाज़ का नशा तेरे लबो से भी चखना है।

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25 MAY 2022 AT 7:03

एक बार फ़िर से सता रही है।
मिलने की आरज़ू रुला रही है।

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24 MAY 2022 AT 22:24

Whenever I remember
The
Warmth of your
Voice

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24 MAY 2022 AT 22:22

Whenever I setisfied my
Desires
Without you

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30 JAN 2022 AT 9:17

Kyu ishq hai tuz se
Samjh nahi pa rhi hu
Teri aur khichi ja rhi hu
Teri awaz se ruh ka sukun pa rhi hu
Jism per teri hi chhuan chah rhi hu

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22 DEC 2021 AT 5:51

आसान था हाथ उठाना
पर इतना आसान था क्या ख़ुद को सही साबित करना।
उसके ज़हन में बस यहीं बात है कि वो सही है।
ये पहली बार नही था जब हाथ उठा है
गाल पर पहले थप्पड़ पर तो ये अंदाज़ा ही नहीं रहता कि ये हो क्या रहा है।
दूसरा थप्पड़ ये बात देता है कि ये सपना नहीं सच है।
ये वही शख्श है जो कभी बेइंतहा इश्क़ होने के दावे किया करता था।
सुन्न हो चुका दिमाग ख़ुद को समझता है
इश्क़ है उसको आज भी, पर शायद मेरी ही गलती है। ये नहीं बोलना था, वो नही करना था।
आत्म सम्मान अब है ही नहीं मुझ में। कहाँ से खोजु, कहाँ से लाऊँ। जो उसके इश्क़ में मुझ में बचा ही नहीं।
आख़िर क्यों ख़ुद को गलत साबित कर के उसको सही मानना चाहता है ये दिल।जो माफ़ी मांग भी नहीं रहा उसी को माफ़ करने की ख़्वाहिश लिए बैठता है।

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4 DEC 2021 AT 5:53

पिछले कई महीनों से ख़ुद को बहला रही हूँ
ख़ुश रह सकती हूँ तेरी आवाज़ के बिना बस यही समझा रही हूँ।
तु जा चुका है मेरी दुनियाँ से क्यू कि तु आया ही नहीं था कभी।
ख्यालों में ही था जो भी था। तुझे पाना मेरा लक्ष्य नहीं था कभी भी
पर वो जो भी था तेरे साथ मेरी रूह का रिश्ता एक तरफ़ा नहीं था, उसमे कुछ तो तेरा भी हिस्सा था उसमे। अंतर बस इतना है कि मैंने मान लिया दिल का कहना और तूने चुप कर दिया दिल को भी और मुझे भी।
पर वो आवाज़ कभी दबी ही नही
तुझ में खासियत है भूल जाने की
मुझे बीमारी है ना भुलाने की
आखरी साँस तक बस यही तमन्ना रहेगी अधूरी
कि तुझे भी मेरी तलब हो बिल्कुल मेरे जैसी।
काश मैं भी तेरी यादों को ब्लॉक कर पाती

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