ये हमारे समय मे हुआ , हमने इस पल कि गवाही दी |
चंदा मामा के घर पर पानी और ईधन की खोज का दरवाज़ा साफ हुआ |
हमने अपने मामा के घर का वो कोना देख लिया, जहां मामा ने इस आधुनिक दुनिया को कभी झकने भी नहीं दिया|
परमपिता को कोटि कोटि नमन कि मुझे इस वीर भूमी मैं इस स्वर्णिम काल मे आत्म उत्थान करने का अवसर मिला|
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सनातन धर्म के अनुसार हम बार-बार जनम लेते हैं, बार-बार मरते हैं।
बार -बार माँ बाप बदलते है, बार -बार जनमसाथी बदलते हैं।
बार-बार भाई बहन, चचा चाची, मामा मामी, मौसा मौसी बदलते हैं।
बार-बार नई यादें साथ बनाते हैं , कुछ अपनो के साथ कुछ गैरों के साथ।
फ़िर मरते हैं और भूल जाते हैं,फ़िर नई यादें बनाते हैं। कुछ अपनो के साथ कुछ ग़ैरो के साथ।
मैं तो इसी जनम मैं भूल जाता हू कुछ कुछ बुरी यादें, कुछ अपनो के साथ कुछ ग़ैरो के साथ।
खुश रहना मकसद है ज़िंदगी का, जीना मतलब है ज़िंदगी का, ये मैंने सीख लिया।
भूल जाओ और फिर नई खुशहाल ज़िंदगी शुरू करो इसी जनम मै, नहीं तो मर कर जीना फिर है नये चेहरे के साथ।
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26 जनवरी 1963 का दिन था, भारत का 13 वा गणतंत्र दिवस था।
भारत चीन से 1962 के युद्ध मैं बहुत कुछ गवां चुका था, अपने हज़ारो युवा को वीरगति प्राप्त करते हुए देख चुका था।
इस देश को जगाना था,खोया अत्मविश्वस् जगाना था,
उसी दिन वो गाना आना था।
ये गाना किसी क्रांति से कम ना था, डूबने वाले के लिए तिनका भर न था।
वो मिट्टी कि शान याद दिला गया, वो शहीदो कि कुर्बानी याद दिला गया।
वो भारत माँ के बच्चो को एक कर गया, जो जब तक थी साँस लड़ता गया।
चचा नेहरू कि आँखें भी नम थी, वो स्वर कोकिला कि गायकी कि दम थी।
आज आया था गायिका कि आवाज़ मैं वो दर्द, जो धधक् रहा था अंगार बन के दिलों मै तब।
आज भी जब ये गाना सुनता हू, गर्व से सीना तान के उन शहीदों कि बहादुरी को नमन करता हु।
अनेकता मै एकता , ये ही हमारी ज़िम्मेदारी है। आपस मै लड़ कर हमने बहुतो कि जान गवाई है।
जाती- धर्म के नाम पर वोट नहीं गवाना है, मुश्किल से मिला इस गणतंत्र का सही माएना निकाला है।
विकास और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ना है, बच्चो को Talented और युवाओ को enterpreneur बनना है।
बहुत हुई जाती के नाम कि, मजहब के नाम कि कहानी,
ऐ मेरे वतन के लोगो ज़रा आँख मैं भर लो पानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी।
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शौकीन हुए हैं बहुत, पर हम सा न होगा।
कविता बिक नहीं रही , फिर भि प्रीमियम ले के लिख रहा होगा।-
कबीर के दोहे कुछ कहते हैं, किशोर कुमार के गाने कुछ कहते हैं, किससे कहानियाँ कुछ कहते हैं
जब मिला तो पता चला इसे शायर ईबादत क्यु कहते हैं, कयामत और शिकायत क्यु कहते हैं।
ढाई अक्षर पढ़ लिया तो जान गया इसे ही जानेबहार कहते हैं,
जहा पहुँचना था वहा पहुँच गये जानू,अब तो तुमसे बस हर रोज़ I love u कहते हैं।
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गणेश जी के गजानं बनने कि कहानी part-2
देवताओ को भेजे शम्भो आज, इंद्र भि हारे, चंद्र भि हारे, सूर्य भि हारे। देव गण हुए हैरान किसका बालक है यह बलवान।
फिर सब मिल बोले त्राहिमाम, बालक ने पीटा जम कर पालनहार, अब आप हि संभालो यह काम।
शिव जी तब क्रोधित हो आये, शिव त्रिशूल से गणेश मस्तक गिरा कैलाश पर, गणेश पुकारे माँ का नाम। मुर्चित् हुआ धड़ दूर पड़ा मस्तक ले अंतिम प्राण।
माँ दोड्रि- दोड्रि फिर आई किसने करी मेरे पुत्र कि यह हाल, क्रोध से हुई भवानी लाल, 9 रुप माता प्रकट हुई जैसे समस्त सृष्टि की सूक्ष्म शक्ति प्रकट हो वैसे।
सब मिल माता कि स्तुथी गाते हैं - हम तेरे ही गुण गाते है चरणो मै शीश झुकते हैं।
शिव शम्भो बोले यह कैसा हुआ अपराध ,अपने पुत्र को खंडित हुआ । शिव नै फिर अभुतपूर्व चमत्कार किया पहला head- surgery किया, हाथी मस्तक गणेश पाए, प्राण बापस लोट आये।
शिव ने फिर आर्शिवाद दिया, तुम हुए गजानं आज,
देवो मै सर्व प्रथम पूजे जाने वाले हर हवन मैं पूजे जाने वाले।
फिर माता नै भि बोल दिया, जो भी चड़ाये गजानं पर पुष्प- दूबा लगाए चंदन - सिंदूर होंगे उसके सभी विघ्न दूर।
विघ्न हर्ता गणेश फिर केहलाए।-
गणेश कि गजानं बनने कि कहानी (Part-1)
लोकप्रिय है यह गाथा, किसी भद्रपाद मास कि शुक्ल चाथुरथि पर गौरी मैया ने बनाया अपने उकतन -मैल से प्यारा सा एक बालक का पुतला,
प्राण फुके माँ ने उसमें , नाम दिया गणेश।
लड्डु प्रिये बालक को माँ लड्डू का भोग देकर बोली-
मेरे एकैन्त कि रक्षा करना, स्वयं द्वारपाल बन किसी को अंदर आने न देना।
माँ को वचन दिया गणेश, लड्डू का भोग फिर लगाए गणेश।
कुछ ही समय बाद शिव जी आये, शिव को रोक पूछे कहा जाते, यहाँ से एक पग आगे नहीं जाते ,मेरी माता का है यह एकांत ।
शिव बोले बालक को समझा कर, बालक सुने नई हट मान कर, शिव जी सोचें कैसा यह बाल, ना सुने ना हिलाये यह पाँव।
शिव जी बापस गए क्रोध को वश मै कर कर बोले बालक पर कैसा बल प्रयोग।
शिव-गण भेजे शम्बो आज, निकाल दो बालक द्वारपाल।
शिव-गण बालक को देख लगे समझने, हट जाओ बालक हम हैं शक्तिशाली बलवान,एक नही चलेगी तुम्हरी आज। गणेश लगे मुस्काने आजाओ तुम गण भि सारे, मेरी माता कि शक्ति मेरे पास।
शिव गण लगे बाल संग युद्ध करने, एक एक को भेजे बापस वो द्वारपाल,
शिव गण बोले त्राहिमाम, कैसा बालक है येह योगेश्वर, बिना हिले भि पीटे दिन भर।
जय गणेश तेरी लीला अपरंपार....
To be continued....-
तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय |
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय ||
-Kabir Das
Meaning: Kabir says that do not even condem a small tinker which is suppressed under your feet. If ever the tinker flew into the eye, then how deep is pain!-