कितने दिन तेरा किरदार मेरे साथ था ये तो पता नहीं
मगर साथ में गुजारा हर लम्हा हर रोज याद आएगा-
टक टकी लगाए दरवाजा देखती हु
हवा की आहात से तुझे छूता हु
कहां हैं तू मुझे एक दफा दिख जा मेरे महबूब
तेरा बिना में तन्हा सा घर में घूमता हु-
मुसाफिर सा मैं बन चुका हु
ख्यालों की दुनिया का कोना कोना घूमता हु
सवालों के शहर का शोर बहुत हैं
मूंद कर आंखे तन्हाई में
इस शोर से मशवरा करता हु
एक बेचैनी सी महसूस होती हैं
जब भी इस शहर की उलझना में उलझता हु
हैं मेरे पास वाहन कई इस शोर से निकलने के
मगर मैं इस शहर के सिग्नल से डरता हु
हुआ ना अगर वक्त पर हरा तो
कैसे खुद को उसमें डूबता देखता हु
इन्हीं उलझनों में खोया रहता हु
बन चुका हु मुसाफिर
ख्यालों की दुनिया का कोना कोना घूमता हूं
वक्त नहीं बचा ज्यादा मेरे पास
मैं इस उम्र में अब कोई शांत सा शहर ढूंढता हु
जो दे सुकून मुझे जहां चैन से में रहा पाऊं
उम्मीदों का शहर में
मैं कहां आसानी से जगह पता हु
मुसाफिर सा बन चुका हु
ख्यालों की दुनिया का कोना कोना घूमता हु-
बगावत ए इश्क से मुकम्बल जहां बना हैं
वरना भूल जाओ महबूब अपना
इश्क तुम्हारे लिए नहीं बना हैं-
मुड़कर देख पीछे शायद कोई किरदार मिल जाए
बंद कमरों में रखी किताबों में कोई हंसी यार मिल जाए
मुस्कुरा तो तू कब न भूल चुका हैं मेरे यार
इन नौकरी और जिम्मेदारी की जिंदगी से निकल बहार
शायद वो पुराना मुस्कुराता किरदार मिल जाए-
एक दिन जब सब कुछ ठीक हो जाएगा
क्या तू मुझे अपने संग ले जाएगा
जो तूने किए हैं अब तक वादे
क्या तू उनको पूरा कर पाएगा
या तू भी वक्त आने पर
दूसरों की तरह बदल जाएगा
मैने दुआ मैं तुझे मंगा हैं
हर पीपल पर धागा तेरे नाम का बंधा हैं
क्या इन सारी दुआओं का
असल हकदार तू बन पाएगा
एक दिन जब कुछ ठीक हो जाएगा
क्या तू मुझे अपने संग ले जायेगा
तोड़नी होगी तुझे अपनी चुप्पी
क्या तू जब जमाने से लड़ पाएगा
मैने एक एक पल वर्षों में बताया हैं
क्या तू इन पलो को मेरे साथ
जीवन के साथ फेरो में बदल पाएगा
मुझे नहीं चाहिए दुनिया की
शान, शौकत,जमी ज़ेवर
क्या तू मेरा सिर्फ बन पाएगा
इस इंतजार को तू क्या मुकम्मल कर पाएगा
बोल क्या तू लौट कर आयेगा
देखूं तेरी राह मैं
या तू सब ठीक होने पर बदल जाएगा-
ताउम्र मैं तुझे निहारता रहूं
आंखों में आंखें डाल कुछ बाते करता रहूं
शैतानियां कर तुझे सताता राहु
तुझे महारानी बना कर तुझे हर दिन संवारता रहूं
दु तुझे इतना प्यार मैं
आईने में खुद को देखूं
और तुझे निहारता रहूं-
बिखर रहे हैं हम तिनका तिनका
कोई इस उल्फत से हमे निकलो
क्या होता हैं इश्क वफ़ा
कोई हमें इसका पाठ तो पढ़ाओ-
फ़रेब में अक्सर ख्वाब टूट ही जाते हैं
संभाल कर चलो फिर भी
पांव मोच खा ही जाते हैं
ख्वाबों का टूटना लाजमी हैं
जिंदगी सारे ख्वाब मुकम्बल करते करते
कुछ ख्वाब तो बाकी रह जाते हैं-