सब रुप जिंदगी के देख लिए मैंने
नए आयाम जीने के मै तलाश रहा हूँ
उलझन लगी होने पतझड़ सी जिंदगी से
हरे भरे पेड़ों की छांव तलाश रहा हूँ
निराशा के घने बादल हर तरफ हैं छाए
आशा की नई किरण अब मैं तलाश रहा हूँ
समझौते जिंदगी से हम करते चले आए
इनसे अब मुक्ति के मैं तरीके तलाश रहा हूँ-
10 JUL 2020 AT 11:38