मन के दर्पण को साफ करकब तक लिपटे रहोगे इससेअपने साथ इंसाफ करअतीत अब न लौटेगाउसका न इंतजार करवर्तमान के साथ जीने कोखुद को तैयार करचुनौतियां बहुत बाकी हैन बैठ तू हार करखुद को मजबूत बनालड़ने के लिए तैयार रह -
मन के दर्पण को साफ करकब तक लिपटे रहोगे इससेअपने साथ इंसाफ करअतीत अब न लौटेगाउसका न इंतजार करवर्तमान के साथ जीने कोखुद को तैयार करचुनौतियां बहुत बाकी हैन बैठ तू हार करखुद को मजबूत बनालड़ने के लिए तैयार रह
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