कभी हम दरिया के इस किनारे मिला करते थे
जहाँ बैठ कर हम लहरों को गिना करते थे
भूल गए तुम क्या जीवन के उन हसीन लम्हो को
जहाँ कभी हम भविष्य के सपने बुना करते थे
याद नहीं क्या तुमको इन पहाड़ों का सौन्दर्य
जहाँ से खूबसूरत झरनों का नजारा देखा करते थे
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3 AUG 2020 AT 15:05