काश वो लम्हे कुछ देर तो ठहर गए होते
हम उनकी झील सी आंखों में उतर गए होते
अवसर न मिला फिर उनके करीब आने का
वरना हम उनकी निगाहों में बस गए होते
होता अगर इल्म की वो लौट कर न आएंगे
जाने न देते उनको परछाईं से लिपट गए होते-
28 JUL 2020 AT 15:46
काश वो लम्हे कुछ देर तो ठहर गए होते
हम उनकी झील सी आंखों में उतर गए होते
अवसर न मिला फिर उनके करीब आने का
वरना हम उनकी निगाहों में बस गए होते
होता अगर इल्म की वो लौट कर न आएंगे
जाने न देते उनको परछाईं से लिपट गए होते-