जब कोई हद से ज्यादा मुस्कुराए तो समझ लेना कि वो अंदर से बिलकुल टूटा है जब कोई लाख पूछने पर भी ये कहे कि "मैं ठीक हूं" तो समझ लेना कि साथ किसी अपने का छूटा है
फिर कभी तुम्हे नज़र भी नहीं आएंगे हमारी गैरमौजूदगी का एहसास तो उस वक्त होगा जब तुम रोते वक्त किसी कंधे को तलाशोगे और ये दुनिया वाले तुम्हें और रुलाएंगे
उस दर्द को जिस से हम हर पल गुजर रहे है ऐसा लगता है मानो ज़िंदगी एक बार फिर हमसे रूठ गई हो हर टूटते सपने के साथ ये एहसास होता है जैसे वक्त के साथ हम तो आगे निकल गए पर ज़िंदगी शायद पीछे छूट गई हो
कभी अगर ऐसा लगे कि ये जिंदगी तुमसे खफा हो गई तो बस एक बार इतिहास के उन पन्नों को जरूर पलट लेना जब तुम बिलकुल अकेले खड़े थे क्योंकि जिस वक्त इंसान अकेला लड़ रहा होता है इस वक्त वो सबसे ज्यादा मज़बूत होता है
और उन सपनों का यूं टूट कर बिखर जाना बहुत ही गहरा ज़ख्म दे जाता है और तकलीफ़ तो तब ज्यादा होती है जब इंसान चाहता तो है पर इस दर्द को बयां नहीं कर पाता है