Er. Pramod Kumar   (©प्रमोद(चितवन_इलाहाबादी))
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Joined 26 January 2021


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23 DEC 2022 AT 21:42

ख़त
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मैंने लिखने से पूर्व इस बात पर कई बार विचार किया कि इसे प्रेम पत्र का नाम दूँ या फिर इसे कोई और लेख कहूँ परन्तु फिर सोचा कि इसे "ख़त" ही रहने देता हूं.....

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9 JUL 2022 AT 13:08

कहाँ आँसुओं की ये सौगात होगी
नए लोग होंगे नयी बात होगी

मैं हर हाल में मुस्कराता रहूँगा
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी

चराग़ों को आँखों में महफूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

न तुम होश में हो न हम होश में है
चलो मयकदे में वहीं बात होगी

जहाँ वादियों में नए फूल आएँ
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी

सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पायें
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

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~बशीर बद्र

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26 MAR 2022 AT 12:12

।।वो आगाज़ अच्छा था।।
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तुम कहो या ना कहो वो दौर वो आगाज़ अच्छा था।
हमारे इश्क़ का सर पर तेरे वो ताज़ अच्छा था।।
कभी यूँ रूठ कर जाना, कभी मिलने की ज़िद करना।
मोहब्बत की मधुर संगीत में वो साज़ अच्छा था।।
हमारे इश्क़ का सार पर तेरे वो ताज़ अच्छा था।।2।।

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9 JUN 2021 AT 11:53

~Ek kitabi girl~
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
सुनहरे ख़यालों में ख़्वाबों की लड़की
मीठे सवालों-जवाबों की लड़की
पढ़ने, समझने का अद्दभुत नज़रिया
जैसे हो कोई किताबों की लड़की

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18 MAY 2021 AT 10:52

आओ जरा सा सफर कर के देखें
तुम्हारी गली से गुज़र कर के देखें

क्या दिल में रक्खा तेरे मेरी खातिर
निगाहों के ज़रिए,उतर कर के देखें

भरता नही दिल मोहब्बत से तेरी
कुछ पल तुम्हें हम ठहर कर के देखें

दिल को हमारे सुकूँ आएगा जब
तू मेरी तरफ एक नज़र कर के देखें

कहते हैं सब हमसे क्या माज़रा है
यूं कैसे तुम्हें हम सिहर कर के देखें

"चितवन" दुआ या दवा आज़माओ
जो तबियत पे तेरी असर कर के देखे

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13 JAN 2022 AT 5:25

Never trust anyone second time because one who can make mistake one time can also repeat it.

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13 JAN 2022 AT 5:20

Trust is like an eraser. It gets smaller and smaller with every mistake.

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9 DEC 2021 AT 10:15

क्या लिख दूँ
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क्या लिख दूँ, बोलो क्या लिख दूँ
मैं सुबह लिखूं, मैं शाम लिखूं
हर नज़्म तुम्हारे नाम लिखूं
इस दिल के सब अरमान लिखूं
वो आँखों वाली जाम लिखूं
मैं क्या लिख दूँ, बोलो क्या लिख दूँ
❤️

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29 OCT 2021 AT 13:46

वो यादें वो किस्से कहानी कहा है
यूं मुरझा चले तुम रवानी कहा है

बचपन में बीते ख़यालों को छोड़ो,
जवां हो तो फिर ये जवानी कहां है

पर्दे में क्या-क्या छुपा कर है रक्खा,
वो मुस्कान तेरी पुरानी कहा है

जहा देखो मतलब से मतलब की दुनिया
मोहब्बत भरी ज़िंदगानी कहां है
मोहब्बत भरी ज़िंदगानी कहां है।

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20 AUG 2021 AT 14:05

सभी दौर के हर हालातों से खेल लेते हैं
कुछ न मिले तो जज़्बातों से खेल लेते हैं

मैं सोचती हूं उनकी बात का जवाब मगर
ज़नाब शायर हैं , बातों से खेल लेते हैं

हम तो किसी के रूठने से डरते है
एक वो हैं जो रिश्ते-नातों से खेल लेते हैं

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