Er. Pramod Kumar
(©प्रमोद(चितवन_इलाहाबादी))
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कलम बेबाक होती है, ये सब कुछ बोल देती है।
हों दिल मे राज़ जीतने, कागजों पे खोल देती है।।
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हों दिल मे राज़ जीतने, कागजों पे खोल देती है।।
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Joined 26 January 2021