Er. kriti kamal   (✍🏻 © कृति कमल)
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Joined 1 May 2020


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Joined 1 May 2020
21 AUG 2023 AT 19:14

आज फिर गुज़री हूँ ।
ज़हन में दबे उन पलों से
मैं फिर विचलित हूँ ।

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16 JUL 2022 AT 18:48

बस मेरी चाहत थी
एक अच्छी नौकरी पाने की
पुलिस सेवा में आने कि
कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी
जब मेरा इसमें चयन हुआ
मन थोड़ा असमंजस में था ।
कैसे होगा प्रशिक्षण और
कैसी होगी दिनचर्या ।
दिनचर्या में हम ऐसे ढल गए
कि समय का पता ही नहीं चला ।
आज अकादमी आए हुए
हमें आठ महीने बीत गए ।
अनुशासन, शारीरिक दक्षता
व क़ानून के संग-संग
घुड़सवारी, तैराकी व हथियार
चलाने की कला भी सीखी ।
निम्न से उच्च स्तर के अधिकारी
समाज की समस्याओं से परिचित करा रहें हैं।
हम उससे कैसे निबटेंगे ये हमें वो
दिन-प्रतिदिन सिखला रहे है ।
प्रशिक्षण प्राप्त कर जल्द ही हम
अपने-अपने क्षेत्रों में पदस्थापित हो जाएँगे ।




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16 JUL 2022 AT 18:01

ये सबको है पता
पर मेरी परिस्थितियाँ
बस मैं ही हूँ जानता

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16 JUL 2022 AT 17:55

घर से हम चल तो दिए
पर मेरी मंज़िल का
नहीं है कोई ठिकाना

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16 JUL 2022 AT 17:51

ये बेवजह ही तड़पता है ।
चाहे ग़म हो या ख़ुशी
ये ज़ोर ज़ोर से धड़कता है।

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21 MAR 2022 AT 23:06

happiness
by
expressing
my thoughts
into
words.

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14 FEB 2022 AT 17:58

मिले सबको समानता
पर कर्तव्य का भी बोध हो ।
हर पनपनी ग़लत धारणा का
समाज में प्रतिरोध हो ।
आधुनिकता की आड़ में
सभ्यता को न भुला दें।

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10 FEB 2022 AT 20:53

मनुष्य

दे रहा है रोशनी,
ये हमारा सूर्य है ।
अंधकार अब दूर है,
कह रहा मनुष्य है ।

चक्रव्यूह में दौड़ता,
क्या तू मूर्ख है ?
ज़िन्दगी को खोलकर,
विष पी रहा मनुष्य है ।

चुप था ये चुप है
बोलता ये दुष्ट है।
वानर के भेष में
ये कैसा मनुष्य है ।

जानवर प्रवृति छोड़
ये तेरा न गुण है।
भुलता तू क्यों है ?
तू आज भी मनुष्य है।

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5 FEB 2022 AT 21:30

प्रशिक्षु पुलिस उपाधीक्षक बन
मैं पहली बार गाँव भ्रमण पर गयी
सिलाव प्रखंड के घोसतावाँ
पंचायत का सूरूमपुर गाँव था
महिला आरक्षण के कारण
पंचायत में महिलायें थीं
पर वहाँ भी
मुखिया पति का प्रचलन था

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2 FEB 2022 AT 15:12

Recognise
the value
and
uniqueness
of
every being.

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