Er Kapil Pandit (कल्प)   (Ëŕ Kãpiľ Pâñđit(कल्प))
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Joined 20 April 2020


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Joined 20 April 2020

ये जो वीरान सा रास्ता है, मेरे दिल तक पहुंचता है।
कहाँ हर कोई भला मंजिल तक पहुंचता है।
डूब जाती हैं कई कश्ती इश्क के समंदर में,
जरूरी नहीं कि हर कोई यहां साहिल तक पहुंचाता है।

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यह माना कि इंसान को इस दुनिया से अकेले ही जाना है लेकिन जाने वाले के पीछे चलने वालों का काफिला ही बयां कराता कि तुम्हारी शौहरत क्या थीI आप कितने अमीर हो यह आपकी दौलत नहीं बल्कि आपके दोस्तों से पता चलता हैI

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15 SEP 2022 AT 10:44

ऐतबार-ए-इश्क़ न रहा मुझे अबI
गर खुदा को पूजता तो मिल भी जाता मुझेII

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27 JAN 2022 AT 19:21

तलाश रहा हूँ मैं खुद को।
जो गुम हो गया है कहीं खुद में॥

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7 JAN 2022 AT 22:52

ख्वाहिशें मुझसे मेरी छीन ले गए वो,
मुझसे मेरी नींद ले गए वो।
वो जानते थे कि मर जाएंगे हम वगैर उनके,
फिर भी सांसें मुझसे मेरी छीन ले गए वो॥

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इल्ज़ाम लगा था, कि कातिल हूं मैं उनकी ख्वाहिशों का।
बात खिलाफ गवाही की आई तो, सिरे से मुकर गया वो॥

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3 JAN 2022 AT 19:29

छोड़ दिया है अब चहरों को पढ़ना मैंने।
हर कोई नक़ाब पर नक़ाब जो ओढ़े है यहां॥

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21 DEC 2021 AT 0:13

चला गया मेरा इश्क भी मेरे महबूब के साथ ही.!
मुहब्बत के इस शहर में अब केवल वीरानियां रहती हैं..॥

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19 DEC 2021 AT 23:23

अब तो तुम्हारा पता मुझसे,
तुम्हारी तोहफे में दी हुई हर किताब भी पूछने लगी हैं।
मेरी आंखें अब मुझसे,
मेरे आंसुओं का हिसाब भी पूछने लगी हैं,।
न मर सका, न ही जी रहा हूं मैं,
तुझसे यूं बिछड़ जाने के बाद...
जिन्दा रहोगे या फिर मर जाना है तुम्हें,
यह बात मुझसे अब मेरी हर सांस भी पूछने लगी हैं॥

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2 DEC 2021 AT 20:50

इश्क को जरा परवाही से करना जनाब,
बेपनाह इश्क वालों को दर-दर भटकते देखा है मैंने..!!

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