ऐसे किसी चेहरे पे निगाह रुकती है, जैसे सागर से लहर उठती है, जैसे पर्वत पे घटा झुकती है, ऊँची-ऊँची दीवारों सी इस दुनिया की रस्में, रोक नहीं सकती नज़रों को, दुनिया भर की रस्में, मैं तेरी याद में सब कुछ भुला दूँ , याद में दुनिया को तेरी तस्वीर बना दूँ !!!
जब आपमें परिपक्वता आती है, तो बहस करने से चुप्पी बेहतर हो जाती है, लेकिन कभी-कभी सबसे खराब स्थिति और गुस्सा आपकी परिपक्वता को खत्म कर देती है और आपको बहस करने के लिए मजबूर कर देती है !!!