रात के अंधेरे में,
यूँ खामोश हवाओं से,
मैंने पूछा एक सवाल।
आखिर कौन हूँ मैं???
क्या मैं हूँ वो पतंग जिसकी कोई डोर नहीं?
या सिर्फ वो शख्स जिसका कोई वजूद नहीं!
क्या मैं हूं वो नदी जिसका कोई छोर नहीं?
या सिर्फ एक शब्द जिसका कोई अर्थ नहीं!
आखिर कौन हूँ मैं?
क्या हूँ वो अग्नि जो कभी बुझती नहीं
या सिर्फ एक धुंध जो कभी छूटती नहीं!
क्या हूँ वो पुष्प जो कभी खिलता नहीं?
या सिर्फ एक कल्पना जिसकी कोई पहचान नहीं!
आखिर कौन हूँ मैं?
क्या मैं हूँ वो खवाब जो कभी मुकम्मल नहीं?
या सिर्फ एक दर्द जिसका कोई मरहम नहीं!!!
क्या मैं हूँ वो दुख जो कभी मिटता नहीं?
या सिर्फ एक कण जिसमें कोई प्राण नहीं!!!
आखिर कौन हूँ मैं???
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Er Abhay Pratap Singh
(ई० अभय प्रताप सिंह)
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Joined 6 March 2017
25 SEP 2021 AT 3:50
5 JAN 2021 AT 22:13
सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे ,
चले चलो के जहाँ तक ये आसमान रहे ।।-
3 JUL 2020 AT 22:49
तुम मिनट वाली सुई बनना और मैं घंटे वाली ,
जब वक़्त ठीक होगा जरूर मिलेंगे ।।-
22 APR 2020 AT 5:50
" मेला लग जाएगा उस दिन शमशान में,
जिस दिन साधु मर के जाएगा आसमान में "-
15 APR 2020 AT 5:56
अभिजात दादा के लिए समर्पित-
"है समय बड़ा तूफ़ान प्रबल पर्वत झुक जाया करते हैं
अक्सर दुनिया के लोग समय में चक्कर खाया करते हैं
लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, इतिहास बनाया करते हैं
यह वीर चक्रवर्ती होगा , या त्यागी होगा सन्यासी
जिसके गौरव को याद रखेंगे, युग-युग तक भारतवासी "-