Er Aakash Singh Gagan   (इं• आकाश सिंह गगन)
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Joined 12 August 2019


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18 JAN AT 23:56

प्यार तो सिर्फ और सिर्फ तुम्हीं से है जाना,
लेकिन आता नही है मुझे उसको जताना,
थोड़ा मुश्किल है अभी हम दोनो का मिल पाना,
चाहत बहुत है तुम्हारे साथ समय बिताना,

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12 JAN AT 0:15

वो जिस शाम को, जिस तरह हमसे बिछड़े,
न चाहते हुए भी हमसे, बिछड़कर वो भी रो पड़े,,

बिरह की ऐसी टीस कि आखिर प्रेम में हमारे क्या कमी रही,
न जाने क्यूं उनकी आंखों में, मेरे प्यार की हमेशा नमी रही,,

उनके चले जाने के बाद, जिन्दगी बेजान सी चलती रही,
पर वो आखिरी रात, मेरी आंखों में जिंदगी भर ठहरी रही,,

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11 JAN AT 23:52

मेरी जिंदगी
तुझे तेरा दिल कैसे लौटा दूं, भला तुम्हें मैं कैसे भुला दूं,
संभाला है तूने मुझे, बताओ कैसे कि फिर से तुम्हें खो दूं,
ख्वाहिश है मेरी कि, दुनिया की सारी खुशियों से तुम्हें भर दूं,
अब तुम्हीं बताओ ना तुम्हारे लिए और क्या क्या कर दूं,

तुम जो भी और जैसे भी चाहो, वैसे मैं खुद को बदल दूंगा,
आया जो अपना मौसम तो, मैं तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर दूंगा,
मेरी हर उम्मीद से बढ़कर, नई किरण बनके निकली हो तुम,
मेरे जिंदगी की, जीने की नई राह, नई आस बन गई हो तुम,

साथ हूं मैं तुम्हारे, हुआ न करो यूं मुझसे नाराज़ तुम,
मेरे जीवन की हर सुख दुख की साथी, हो साज तुम,
तुम जो भी हो जैसी भी हो, जिंदगी की हकीकत हो तुम मेरी,
जब मैं हार जाता हूं तो उस, हारे हुए मन की हिम्मत हो तुम मेरी,

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11 JAN AT 23:11

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जैसी,
प्रेम मुरलीधर श्याम जैसी हो,,
पर एक बात हमेशा याद रहे,
क्रोध हमेशा महाकाल जैसी हो,,

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26 JUN 2023 AT 23:10

तुम्हारे प्यार में लिखी गयी सबसे सफल कविता
उसके असफल होने पर लोगों को सुनाई मैने,
बिछड़न में गाए सबसे अच्छे गानों का मतलब
तुम से दूर हो जाने पर, समझ पाया मैने,

तुम से मिलने वाली हर जगह
मेरे यादों के मील का पत्थर बन गए

प्रेम पर लिखी सबसे अच्छी कविता
मेरे लिए सिर्फ तुम थी यारा
जो मैने सिर्फ तुम्हारे लिए
अपने पहले प्रेम में लिखी थी

तुम तो मेरे लिए वैसी थी
जैसे होती सूर्य की पहली किरण,
सुबह की अल्हड़पन अहसास
साँझ का सुकून, रात्रि की शांति,
नदियों का मद्धम सुर,
कोयल की मीठी सी धुन
कुछ ऐसा था मेरा प्रेम तुमसे प्रिए

जिंदगी मुक़म्मल हो गयी, कविताएं मौन हो गईं,
मैं गाने पूरे सुनना चाहूं,
तेरी यादें बीच में मुझको तोड़ गई,
मेरे प्रेम का सूर्यास्त हो गया है सदा के लिए,
तुम्हारी यादें, साँझ विचलित कर देती है,
रात्रि विषैली हो गयी हैं, नदियाँ सूखने लगीं हैं,
उन पत्थर पर, अब तन्हा बैठा करता हूँ मैं
जहां बैठकर हम दोनों कभी प्यार से बाते करते थे

और आज जब कोई भी, जिंदगी का पर्याय पूछता है,
तो मैं तुम्हारा नाम लिख देता हूँ,अपने मन के भीतर,
बस इतनी मोहब्बत थी तुमसे।

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25 JUN 2023 AT 23:06

हे प्रेयसी,
अगर मैं तुमको अपनी बाहों में लेना चाहता हूं,
तो उसका तात्पर्य केवल वासना नहीं हो सकता हैं...

उस वक्त शायद इसका अर्थ होता हैं कि,
मैं तुम्हारे आत्मा को स्पर्श करना चाहता हूं..

मैं तुम्हारे मन को टटोलकर निकालना चाहता हूं,
जिस अथाह प्रेम को अपने मन में दबा लेती हो

मैं तुम्हें अपने सीने से लगाकर तुम्हारे आँसुओं को
अपने निश्छल प्रेम से सोख लेना चाहता हूं

तुम्हारे सूखे वीरान पड़े जीवन को मैं,
प्रेम की बारिशों में भिगो देना चाहता हूं.

यह वासना नहीं हैं,
मेरा अथाह समर्पण हैं,
सिर्फ तुम्हारे लिए
क्योंकि मैं तुमसे हृदय से
और बेतहाशा प्रेम करता हूं.....

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24 JUN 2023 AT 0:21

कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का ।।
हँसी ख़ुशी सब काम हुआ था, सारी रस्म अदाई का ।

बहना तेरे कातर स्वर ने, मुझे अंदर से झकझोर दिया।।
पूछ रही थी नज़रें तेरी,भाई क्या सचमुच तुमने मुझको छोड़ दिया।।

अपने आँगन की फुलवारी, तुमको सदा कहा मैंने।।
तेरे रोने को पल भर भी, बिल्कुल नहीं सहा मैंने।।
क्या इस आँगन के कोने में, अब तुम्हारा कुछ स्थान नहीं।।
आज तुम्हारे रोने का भी, पापा को भी बिल्कुल ध्यान नहीं।।

देखो अन्तिम बार देहरी, लोग तुम्हें पुजवाते हैं।।
आकर के पापा क्यों इनको,आज नहीं धमकाते हैं।।
नहीं रोकते चाचा ताऊ, बूआ से भी आस नहीं।।
ऐसी भी क्या निष्ठुरता है, कोई आता तुम्हारे पास नहीं।।

दीदी आपकी बातें सुनके, पापा नहीं रह सके खड़े।।
उमड़ पड़े आँखों से आँसू, बदहवास सा दौड़ पड़े।।
कातर बछिया सी तुम दीदी, लिपट पापा से रोई थी।।
जैसे यादों के अक्षर दीदी तुमने, अश्रु बिंदु से धोई थी।।

माँ को लगा गोद से कोई, मानो सब कुछ छीन चला।।
फूल सभी घर की फुलवारी से कोई ज्यों बीन चला।।
छोटा भाई भी कोने में, बैठा बैठा सुबक रहा था ।।
उसको कौन करेगा चुप अब, वह कोने में दुबक रहा था।।

दीदी आपके जाने पर घर ने, जाने क्या क्या खोया है।।
कभी न रोने वाला आपका भाई भी, आज फूट फूट कर रोया है....

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23 JUN 2023 AT 22:33

बहना मैके आना तुम
नहीं रही माँ! तो मत संशय में आ जाना तुम
माँ सा लाड़ करूँगा, बहना मैके आना तुम
स्वागत करती तख्ती जैसा जड़ा मिलूंगा मैं
फूलों जैसा तुम्हें राह में पड़ा मिलूंगा मैं
मुख्य द्वार पर बैठी माँ ज्यूं रस्ता तकती थी
लगा टकटकी उसी द्वार पर खड़ा मिलूंगा मैं
जैसे माँ से मिली, मुझे यूं गले लगाना तुम
माँ सा लाड़ करूँगा, बहना मैके आना तुम
सिर्फ अकेली! या फिर बच्चों को लाओगी तुम
राखी के कितने दिन पहले आ जाओगी तुम
कितने दिन अब और बचे हैं हर दिन पूछूंगा
माँ के जैसा ही बैचेन मुझे पाओगी तुम
कौन गाँव तक पहुँची, करके फोन बताना तुम
माँ सा लाड़ करूँगा, बहना मैके आना तुम
तुम्हें लगाने को बिटिया ने मेहंदी घोली है
बेटे ने कुछ उम्मीदों की सूची खोली है
साड़ी मनपसंद खरीदूंगी खुद बहनों की
मुझे तुम्हारी भाभी कल ही ऐसा बोली है
दुनिया की बातों में, मन को मत उलझाना तुम
माँ सा लाड़ करूँगा, बहना मैके आना तुम
एक इमारत है, ईंटें हैं, केवल गारा है
इसको घर कर देता पावन प्यार हमारा है
दौलत के झूठे चिथड़ों में नहीं लपेटा था
मात-पिता ने सदा प्रेम से हमें सँवारा है
नेह तिलक जीवन भर, मेरे गाल लगाना तुम
माँ सा लाड़ करूँगा, बहना मैके आना तुम

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23 JUN 2023 AT 22:15

जीवन में कुछ भी हो, पर तुम होना न निरास...
हर समस्या से लड़ने को तुम बांधे रहो एक आस...
क्योंकि,
पंछी ने जब जब किया अपने पंखो पर विश्वास …
दूर दूर तक हो गया सिर्फ उसका ही आकाश...

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23 JUN 2023 AT 22:07

डांट देना
डपट लेना
कुछ न कुछ
तुम बात करना

सुनो..
तुम्हारी खामोशियाँ
मुझे डराती बहुत हैं

सुनो... ना....
तुम लड़ लेना
झगड़ लेना,
रूठ जाना,
लेकिन बात करना

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