तुम ......
मुझे .....
यु हर बार ग़लत नज़रों से देखा न करो ,
मैं तुम्हारी हों चुकी हूँ
मुझे हर बार परखा़ ना करो !-
ना लेखक हूँ ...
बस जज्बात लिखतीं हूँ...
जो मैं बयां नही कर सकती ..
वो अल्फाज ल... read more
सभी सें अदब से पेश आने की ,
कोई ...
इसे मोहोब्बत समझ बेठै ,
तो ग़लती मेरी भी नहीं !
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ग़ज़ब का एहसास है , तुम्हारी मोहब्बत का
इज़हार न कर पाए , इकरार भी न कर पाए !-
मैं ज़िन्दगी नहीं किसी कीं ,
मेरे पास ज़्यादा ज़िन्दगी नहीं ।
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सुनो ....
दुनिया चाहें कूछ भी कहें
मुझे तुमसे मोहब्बत हैं ।
जितनी मोहब्बत को मोहब्बत से मोहब्बत नहीं ,
उतनी मोहब्बत हैं तुमसे ।।
और अगर तुम्हें भी हैं मुझसे मोहब्बत
तो स्वीकार करो मेरी मोहब्बत ।
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?
क्योंकि .....
“ मैं मतलबी हूँ “ मुझमें तलब है तुम्हें पाने की ,
“ मैं इच्छुक हूँ “ तुम्हें अपना बनाने की ,
“ मैं ज़िद्दी हूँ “ तुम्हें अपने गले लगाने कि ,
“ मैं समझदार हूँ “ तुम्हें जान सकूँ , तुम्हें समझ सकूँ ।
औरररर ....
अब मैंने ठान ली हैं इज़हार करने की ।
और तुम्हें किसी और का ना होने देने की ।-
देखो ना ।।।
सब पूछते हैं मुझसे
तुम्हारे बारे में कि _ तुम कौन हो ?
कह दूँ कि तुम कौन हो ?
पर क्या कहूं? क्या सच कह दूँ
कि तुम सिर्फ मेरे .........
नहीं-नहीं ।।
मैं जीती हूँ तुम में और हमेशा जीना चाहती हूँ
मैं किसी काे बताना ही नहीं चाहातीं
कि तुम कौन हों । कैसे हों
पर कैसे !!
कैसे बताऊं कैसे समझाऊं
कि तुम मेरे लिए क्या हों !
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ये आपका प्यार ॰॰॰
जैसा भी हैं ....
सच्चा है,
थोड़ा कच्चा है,
लेकिन जो भी है,
बहुत अच्छा है ।-