ए जिन्दगी जिस ओर तू चले,
उस ओर हम भी हों चले है
अपनी इच्छा अपनी उम्मीदों को
अपने अंदर दबा लिए है,
अपने इशारों पे नचाती रेहती है
हर पल हर छड़ खेल दिखाती रहती है
अब तुझसे लड़ना भी छोड़ दिया,
जीवन को अपने अनुसार जीना छोड़ दिया,
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ईश्वर ने भी क्या खेल है खेला,
कुछ रिश्तों को यू जोड़ा है,
जिसने जीवन को ही बदला है
जीवन के कुछ पल जीवन का है आधार,
तो कुछ पल जीवन के लिए निराधार
जीवन को इन पलों ने झंझोडा है,
जीवन में कुछ ख़त्म सा किया है
रिश्तों का नज़रिया बदल सा दिया हैं......-
क्या यही है जीवन की कहानी,
अपने पर ही अपना बस नहीं रह जाता है,
जीवन जीने के लिए अपने आप को ही बदलना होता है,
इच्छा तो दूर मानो दूसरा जन्म लेना होता है,
हर बात पर अपने को सिद्ध करना होता है,
हर बात पर पराया बना दिया जाता है,
और उसको सुनाया जाता है, वो पराया समझती है,
उसे लाखों उम्मीदें की जाती है
उसकी उम्मीद को अंदेखा किया जाता है,
उसकी बातों को उल्टा मतलब निकाला जाता है
इसी लिए अपनी बातों को मन में दबा के रखना पड़ता है,
अंदर ही अंदर घुटने घुटते जीना पड़ता है....
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रंगों से सराबोर है सारा जग
खुशियों का है चारों ओर माहौल
ना कोई गिला ना कोई शिकवा,
हो जीवन में खुशियां हजार
मुबारक़ हो रंगों वाला त्योहार
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ये रिश्ते भी बहुत कमाल के होते है,
जिसे जितने दिल लगा के निभाते है,
वो अपनी ना समझी में ही बड़ी सिद्धत से,
उसे ऐसा तोड़ते है कि इंसान टूटता
नहीं जिंदा लास बन जाता है,
जब समय आता है तो इंसान ही ख़त्म हो जाता है,
बस नाम का ही रिश्ता रह जाता है.......
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मन में ये कैसी बेचैनी हैं,
जीवन की कैसी होनी है,
जीवन ने जीने की आस छोड़ी हैं,
ख़ुद ने ख़ुद से बेरुख़ी की है,
जीवन ने सारी आश छोड़ी है,
आशा ने ही जीवन की डोर तोड़ी है,
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बहु बेटियों को आज भी जीना है दुहार,
बहुत है बस प्रताड़ना के अधिकारी
बहू हीन भावना दृष्टी आज भी निहाल,
बहू के जीवन पर है आज भी सवाल,
उसका क्या है आज भी अधिकार,
क्यों बात बात पर उसको
बाहर का रास्ता दिखाया जाता है,
उसको बात बात पे पराया और बेघर बनाया जाता है,
आज भी वहीं है सवाल की,
क्या है बहू के अधिकार,
जब घर में नहीं है कोई अधिकार,
बना के लाते है बस एक नौकर और ग़ुलाम,
बात बात पे दिखाते है उसकी औकात,
बहुत का नहीं है कोई घर ना कोई अधीकार??????
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लोगों की विचारधारा भी बहुत निराली है,
जीवन को नर्क तो कभी,
जीवन से ही खेल जाती हैं,
इस खेल में होते है कुछ ऐसे क़िरदार,
जिनका लोगों के जीवन से है खेलना ही काम,
वो लोगों के जीवन को नर्क बनाते है,
अपने मन की गलत विचारधारा से,
लोगों के जीवन को खेल बनाते है,
उनकी सोच की धारा है इतनी विकराल,
लोगों के जीवन को बना दिया है काल,
औरत और मर्द के भेद के विचार,
आज भी लोगों के जीवन को नर्क बनाया है...
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जीवन से बहुत सी फरियादें है,
यादों के झरोको से,
बहुत सी यादें करे फ़रियाद,
कोई याद दिला को बहलाता है,
तो कई याद दिला को रुलाता है,
आँखों से आँसू बन निकल जाता है,
कुछ यादें ख़्वाब बन जाते है,
तो कुछ दिल में समा जाते है,
कुछ यादें अपनों से दूरी बना देते है
यही तो बेहिसाब यादें हैं.......
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फूलों की मेहक, फूलों की बौछार
फ़ैले चारों ओर हरियाली अपर,
देखों आया है बसंत का त्यौहार,
लहराएंगे खेत और खलियान,
गए नदी और तलाब,
नभचर घूमें गगन आकास,
फ़ैलाये ख़ुशियाँ आपार,
मुबारक हो बसंत का त्यौहार...
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