जितना जरूरी सांसें हैं
उतना ही तुम्हारा साथ,
गर क़दम डगमगाएं
तो कसकर पकड़ लेना हाथ...
उंगलियों में फंसाकर प्रेम
नींव विश्वास की रखना,
मेरे हमदम मेरे हमसफ़र बन
हमेशा पास ही रहना....-
मैं कुछ खास नहीं मगर मेरे अंदर बहुत कुछ ऐसा है जो खास है.......😉�... read more
उड़ेल दो सब बाहर
जो भरा हुआ है अंदर...
किसी ना किसी रूप में
किसी ना किसी बहाने से...
भारमुक्त होने का एहसास
तुम्हें हल्का महसूस कराएगा...
और तुम एक बार पुनः
अपनी कोमलता और मासूमियत से
मुलाकात कर सकोगे....
और यकीन मानो
इससे बेहतर और कुछ भी नहीं!!-
थोड़ी मेहनत लगेगी,
लेकिन
फायदा ज्यादा मिलेगा.....
वो क्या है ना
उग्र स्वभाव वाले व्यक्ति अपनी बात तो मनवा सकते हैं,
पर दिल में जगह नहीं बना सकते....
चयन आपको करना है
आपको अपनी शख्सियत कैसी चाहिए!
लोग पसंद करें......या बस डरें.....-
तुम कोई ग्रंथ हो या महाकाव्य
पढ़ना इतना आसान नहीं तुम्हें !
गद्य और पद्य...
दो विधाएं हैं... और मुझे दोनों पसंद बहुत हैं !!-
चलने की कोशिश हो तो....
हमसफ़र मिल ही जाता है
ढूंढने की कशिश हो तो....
मंजिल भी मिल जाती है
लगन की तपिश हो तो....
सुकून भी मिल जाएगा
शांति की ख़्वाहिश हो तो....-
प्रतिदिन
अपने अंदर
एक नये सुविचार का...
पोषित करो उसे
धैर्य और संयम से....
और विश्वास रखो
निश्चित ही पल्लवित होगा...
सुगंधित पुष्प की तरह
जिसकी महक से महकेगा
संपूर्ण व्यक्तित्व .....
जो सुरक्षित रखेगा तुम्हारे अस्तित्व को!-
अगर कोई
तो नाराज़ या दुखी मत होना!
हो सकता है
उसकी अपनी कोई मजबूरी हो
या प्राथमिकता में तुम ना हो!!
सोच लेना
मंजिल तक का सफ़र अकेले ही तय करना था
वो बस एक राही था..जो अगले मोड़ तक चलना था...
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विचलित... व्यथित या व्यवस्थित होने का!
व्यक्ति का व्यक्तित्व विकसित करता है
विशाल हृदय की पराकाष्ठा...
सुडौल.. स्वस्थ शरीर हो
या शांत...सहज स्वभाव
सब कुछ निर्भर है मन: स्थिति पर....
अतः प्रयास करें
कि आप मन के अनुसार नहीं
वरन् मन आपके अनुकूल अनुसरण करे....
अन्यथा मन के गुलाम की स्थिति सोचनीय हो जाती है!!-