जिन्दगी कुछ इस तरह से गुजार रहा हू
वक़्त के अंधेरों मैं खुद को ढाल रहा हू
यूँ तो कहने के लिए जिन्दा हू
मगर जो वादे तूने किए थे मुझसे
दौलत के रूप में उन्हे निहार रहा हू
इतनी बड़ी दुनिया में तू ही तो था मेरा
न जाने मै कब से तुझे पुकार रहा हू
जिन्दगी की खुशियों का नया तोहफा तुम्हें मुबारक
तुम्हारी जिन्दगी में न हो गमों का साया
मैं जाते - जाते यही पुकार रहा हू
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