निकल चुका हूँ में, वापस लौटने का जिक्र अभी से ना करो,
में रुका क्यों नही, पहले ये तफ़शिस तो पूरी करो🙏🙏
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कलम उठा में सब तज़ुर्बा लिखता हूँ।।
बैठेंगें साथ मे, बाते कुछ रूहानी होंगी।
चाय की चुस्कियों में अल्हड़ रुमानी होगी
तुम छेड़ देना कोई किस्सा मोहब्बत का,
मेरे पास कई दास्तां कई कहानी होगी।-
वापसी मुमक़िन नही अब,
काश ! रोक लिया होता तब,
दूर जाने पर ही अहसास होता है रिश्तो का,
काश ये बात समझ पाते सब।
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इतनी सारी तैयारियां, फिर भी मन उदास लगता है,
ये त्योहारो का दौर भी अब निराश सा लगता है।-
जब दर्द-ऐ-ज़ख्म ना बचता है, तब आपको सुनते है
तन्हाई के समंदर में कश्ती, आपके अल्फ़ाज़ बनते है,
अब ना कोई मरहम ना कोई दिल-ऐ-'राहत' बची है,
आप भले ही चले गए, पर आप हमारी रगो में बसते है।।
विनम्र श्रद्धांजलि राहत साहब-
छज्जा सुंदर बनाने में अपने पिल्लर ही कमजोर कर बैठे,
कुछ लोग शिखर तक पहुंचने में अपनों से ही दगा कर बैठे।-
बुरे से बुरा, अच्छो से अच्छो रिश्ता बना लो,
लोग कोशिश करेंगे तुम्हे कमजोर करने की,
तुम कमजोरी को ही ताक़त बना लो-
इश्क़ मक़बूल हो मेरा मुझे ये पता नही,
हासिल करना ही है तुम्हे मुझे भी ये तलब नही..
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रेत पर लिखा था कुछ, फिर हमने ही मिटा दिया..
ख़्वाब जो मुक्कमल ना हो, उन्हें सँजोने से क्या फ़ायदा..-
चलो यार अब मोहब्बत करते है,
यूँ ही अपने खालीपन को भरते है,
प्यार, तकरार, रूठते और हँसते है
उन्ही मीठी यादो को दिल मे सँजोते है,
मोहब्बत की नई परिभाषा पढ़ते है,
चलो यार अब मोहब्बत करते है
यूँ ही अपने ख़ालीपन को भरते है।।
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