एकांत
यानी
एक का भी अंत -
osho-
Me pal do pal ka shAyar hoo..
pal do pal meri kahaani hai..
लोगो की होती होगी सुबह सुरज के निकलने से
हमारी तो सुबह आज भी उसके गुड़मॉर्निंग मैसेज से होती हैं।-
लिख लिख थकया हाथ मेरे,
पर दर्द मेरे लिख न पाऊ ,
विरह मेरी गोविंद मिलन की
किसको मैं लिखके बताऊ..।-
मुर्शद के दीदार को, अखियां जो तरसे जाये
प्रेम से ध्याओ गोविंद, तो घट में प्रकट हो जाये ।-
कसमें जो दी थी वफ़ा में
सारी की सारी तोड़ दी हमनें
जब भी मिलेंगे, तन्हा ही मिलेंगे,
आज से महफिले छोड़ दी हमने।-
ना कुछ पाने की तम्मना है
ना ही कुछ खोने का गम हैं
4 दिनों की इस ज़िंदगी में
बैखौफ और खुश हम हैं..।-