विद्वानों की ये जन्मभूमि,
विक्रमशिला नालंदा जिसकी पहचान है।
कण कण जिसके चाणक्य की नीति,
जयप्रकाश जिनकी पहचान हैं।
हँ हम बिहारी, और बिहारी हमारा पहचान है।
मां जानकी की ये पवित्र भूमि,
गंगा जिसका नित दिन करती श्रृंगार है।
मिथिलंचल की ये पवित्र नगरी
महादेव,भगवन राम भी जिसे करते प्रणाम है।
हँ हम बिहारी, और बिहार हमारा पहचान है।
रामधारी सिंह दिनकर की रचना,
या फिर महाकवि विधापति कविता,
ना भुला है ना भूलेगा ये संसार
वाल्मिकी ने लिखी रामायण,
जिसमें रामचर का सार है।
जन्मों के गुरुगोबिंद को ये माटी,
जहां मांझी का भी बखान है।
हँ हम बिहारी, और बिहार हमारा पहचान है।
कितना करू बखान इस बिहार की
जिसके वीर सपूतों में सुश्रुत ,सम्राट अशोक
वाल्मिकी ,आर्यभट, विधापति, जय प्रकाश
,गुरु गोविंद सिंह, चाणक्य थे।
ये सभि बिहार की शान है।
हँ हम बिहारी, और बिहार हमारा पहचान है।
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