सच के दम पर
झूठ के पाँव नहीं होते,
फिर भी सरपट दौड़ रहा।
आज देखों बाजार में,
किस तरह ये बिक रहा?
सच बेचारा मौन धरे,
एक कोने में है खड़ा।
पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें......
- Aditi Prabhudas
6 JUL 2019 AT 21:32
सच के दम पर
झूठ के पाँव नहीं होते,
फिर भी सरपट दौड़ रहा।
आज देखों बाजार में,
किस तरह ये बिक रहा?
सच बेचारा मौन धरे,
एक कोने में है खड़ा।
पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें......
- Aditi Prabhudas