Ek prayas Hindi Poetry   (Aditi Prabhudas)
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Joined 28 November 2018


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6 MAY AT 22:17

पत्ता और इंसान
पेड़ पर पत्ता बड़ा इठला रहा था,
जो नीचे गिरा था उन पर हँस रहा था,
अचानक आँधी चलीं वह पत्ता बहुत दूर गिरा था,
आज़ वह दूर अकेला पड़ा था,
किसी से कुछ न कहने की हालत में पड़ा था,
उसका अभिमान एक कोने में औंधा पड़ा था,
वो पत्ता मगरूर इंसान की तरह धराशायी पड़ा था।

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4 MAY AT 20:13

कई नदियों के मिलने से ही ये दरिया अथाह समन्दर बन पाया हाँ ! समन्दर को तो अपनी मर्यादा में रहना ही है भाया।

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4 MAY AT 18:49

किसी ने एक बीज बोया था कब बन गया वो पेड़,
प्रकृति ने उस बीज के प्रतिदान में लौटा दिए,
न जाने कितने ही फल-फूलों के नेग।

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3 MAY AT 20:48

इश्क़ की महक छुपाए नहीं छुपती यहाँ,
फ़िर दें दो उन्हें कितनी ही आवाज़ यहाँ।

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3 MAY AT 19:59

मोबाइल के कारण

आज़ मोबाइल के कारण इंसान अकेला रहकर भी अकेला नहीं रहा,
इंटरनेट की दुनिया में भोजन-पानी के लिए नहीं नेट के लिए दुबला हो रहा,
बच्चे-बूढ़े क्या हर वर्ग के लिए मोबाइल सहारा नहीं साथी बन रहा,
इसलिए अकेला रहकर भी अब कोई अकेला नहीं रहा अकेलापन भी उसे धोखा दें रहा।

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28 APR AT 22:59



"गधे गुलाबजामुन खा रहे हैं"

गधे आज़ घास नहीं गुलाबजामुन खा रहे हैं,
अब उनकी फ़िक्र में हमें नहीं जलना है,
अरे! गधों को गधे ही रहना हैं,
नहीं परेशान हमें होना हैं,
आज़ गधे ख़ुद को गधा नहीं समझते हैं,
क्योंकि वे गुलाबजामुन खा रहे हैं,
झूठे फरेबी मिलकर घी चुपड़ी डकार रहे हैं,
मेहनतकश हैरान परेशान हो रहे हैं,
गधे गुलाबजामुन खा रहे हैं,
क्यों लोग चुपचाप देख रहे हैं
गधे गुलाबजामुन खा रहे हैं,
मेहनतकश को उसका हक दिलाना हैं,
अब चुप नहीं रहना हैं।

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24 APR AT 19:02

ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करे,देश और उन समस्त परिवारों को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें क्योंकि ये इंसानियत की क्षति हुई है इसके लिए जो ज़िम्मेदार हैं उन्हें दंडित किया जाना चाहिए _
अपने दामन में खुशियों ढूँढने निकले थे मासूम लोग,
रास्ते में ऐसे गुनाहगार मिलें कुछ लोग,
मज़हबी ज़ूनून में गुमराह थे वे लोग,
उस ज़ूनून में उन्हें न दिखाई दिये मज़लूम लोग,
बेरहमी से कायराना हरकत कर भाग गये वे लोग,
कटघरे में खड़ा कर इंसानियत को दग़ा दें गये वे कायर लोग।
🙏🙏🌹🌹❤️🌹🌹🙏🙏

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14 APR AT 19:44

क्या चाय एक दवा या लत है?
हाँ ! चाय एक दवा है,
सच,चाय एक दवा रूपी लत है,
जिसे रोज़ लिया जाता है,
मजबूरी में लिया जाता है,
चाहे खुशी-खुशी लिया जाता है,
हर रोज़ लिया जाता है,
जरुरत के मुताबिक कई बार लिया जाता है।

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8 APR AT 18:46

सुख के पीछे जितना भागोगे वह उतना दूर हो जायेगा
उसे महसूस करके देखो चारों ओर सुख-ही-सुख पाओगे,
सुख कहीं बाहर नहीं अपने आस-पास ही नजर आयेगा ।

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8 APR AT 18:13


प्यार की फुहार अगर मिल जाएं तो सूखा हुआ भी हरा-भरा हो जाता है,
चाहे कठोर जमीं हों पर प्यार के फुहार से धैर्य के नश्तर से सब-कुछ संभव हो जाता है।

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