एक मुसाफिर जिंदगी का   (।। प्रत्युष ।।)
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Joined 3 February 2019


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कभी दो पल साथ बैठु,तो नज़रे मिला लेना।
दर्द का अहसास,तुम्हें खुदबा-खुद हो जाएगा।

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मोहब्बत सच्ची हो,
तो उस इंसान से कभी नफरत नहीं होती।
चाहे वो जितना दूर चले जाए,
किसी और को पाने की कभी हसरत नही होती।

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देर से ही सही,
अपना वक़्त आएगा जरूर।
मेरी हर एक कोशिश,
रंग दिखाएगी जरूर।
जाओ जाकर कह दो तकलीफों से,
आजमा ले हमे चाहे जितने ही करिबो से।
न टूटेंगे,हारकर।
न गिरेंगे,झुककर।
इम्तेहान को पास करेंगे जरूर।
देर से ही सही।
अपना वक़्त आएगा जरूर।
अपना वक़्त आएगा जरूर।

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अक्सर एक चेहरा,मेरी नज़रो के सामने आता है।
मेरे सारे जज्बातों को,बेतहाशा हिलाता है।
बेकरार करता है दिल को,रूह को रुलाता है।
सोते-सोते मुझे,अक्सर जगाता है।

मुझे मोहब्बत का,इम्तेहान दिलाता है।
रातों को मुझे,हौले-हौले रुलाता है।
सब्र को मेरे,हद से ज्यादा हिलाता है।
अक्सर एक चेहरा,मेरी नज़रो के सामने आता है।
अक्सर एक चेहरा,मेरी नज़रो के सामने आता है।

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मेरी मुस्कान के पीछे,बहुत गहरे राज है।
हम वैसे बिल्कुल न थे,जैसे हम आज है।
मेरी हरकते,आती न अब बाज है।
याद कर ही लेती है तुझे।
जैसे हर साँसों के बाद आती,एक साँस है।

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यादें तेरी,बहुत गहरी है।
साँसे मेरी,यही कह रही है।

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कभी न कभी,किसी न किसी मोड़ पर।
उनसे जरूर मुलाकात होगी।
शायद तब,आँखो ही आँखो से बात होगी।
कहने को उनके दिल मे भी,लाखो बात होगी।
लेकिन दिल खोलकर सब कुछ बोले दे,
शायद तब उनमे न इतनी जज़्बात होगी।
घर जाकर फिर आँखो से,बेतहाशा बरसात होगी।
वो जरूर मेरी जिंदगी में,कयामत की रात होगी।
तब उनकी यादें,मेरे और ज्यादा पास होगी।
मेरे हौसलों के टूटने की,वो शाम होगी।
मेरी छोटी-सी दुनियाँ, फिर से शमशान होगी।
जब उनकी आंखों में,पहले जैसी न शान होगी।
मेरी रूह शायद,कभी न खुशी से आबाद होगी।
मेरी खुशियाँ हमेशा की तरह,उसी के साथ होगी।
कभी न कभी,किसी न किसी मोड़ पर।
उनसे जरूर मुलाकात होगी।
उनसे जरूर मुलाकात होगी।

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याद है हमे।

याद है हमे,उनका सामने आना।
और हमारा उन्हें देखकर,
कहने वाली बातें भूल जाना।

हमारा उनसे गुस्सा रहना।
और उनकी मुस्कान देखकर,
झट से हमारा गुस्सा गायब हो जाना।

दिनभर थके रहना।
और उनका बस एक मैसेज आते ही,
सारी थकान छू हो जाना।

हमारा उनको देखना।
और उनका खुदपर इतराना।

याद है हमे।
याद है हमे।

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मुझे भुलाते-भुलाते,
तुम ख़ुदको भूल जाओगे।
तुम मुझसे जितना दूर जाओगे,
मुझे उतना ही करीब पाओगे।
अपनी रूह को,और कितना तुम तड़पाओगे?
जरा मुझ संग दो पल काटकर तो देखो,
बेवजह-बेतहाशा,तुम पूरे दिन मुस्कुराओगे।
मुझ जैसी शख्शियत,तुम कहाँ पे पाओगे?
मेरे जाने के बाद हर इंसान में,
तुम मुझे ही ढूंढना चाहोगे।
 
मेरी बचकानी सी हरकतों को,
तुम हमेशा अपने ख्वाबो में चाहोगे।
छोटे-छोटे खुशियों के पलों में,
तुम मेरी कमी हमेशा पाओगे।
मेरी छोटी-सी शख्शियत को,
तुम अपनी जिंदगी का चाँद बनाओगे।
मेरे जाने के बाद तुम मुझे याद करके,
देखना बहुत आंसू बहाओगे।
देखना बहुत आंसू बहाओगे।

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कल जब तेरे आस-पास लोगों का,न महकमा होगा।
मतलबी लोगों की आवाज़ो का,न चहकना होगा।
तब तुझे मेरी कमी का,अहसास होगा।
मुझ जैसा,न तब तेरे पास होगा।
लाखों-करोड़ो की भीड़ में,मुझ जैसे कि तुझे आस होगी।
देखना उस दिन तू,मन ही मन उदास होगी।
चाहकर भी तू मुझ तक,न लौट पाएगी।
देखना उस दिन तुझे भी,हर एक पल मौत आएगी।
देखना उस दिन तुझे भी,हर एक पल मौत आएगी।

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