जब संबंधों में घुटता हो जीवन पल पल
दीमक के भाँति घुनता हो मन प्रति पल
तब कैसे तुमने काटा जीवन?
कैसे भरा तुमने ये रीता मन?
इन प्रश्नों के उत्तरों के खातिर
आज जियो ये जीवन जी भर..-
29 sept 🎂
बहुत से शोर दफ़न होते हैं किसी की खामोशी मे
मैं वही पढ़ना और लिखना चाहत... read more
मैं चाहती हूं
मेरे मन का शोर
जब कागजों में उतरे
कविता कहानी ग़ज़ल शायरी
औरों को बेशक कुछ भी लगे
पर एक तो ऐसा शख़्स हो
जो अपनी धुंधली आंखों से जब भी मुझे पढ़े
उसे ये मलाल रहे कि
उसे मुझसे उम्र भर की मोहब्बत क्यूं न हुई.....-
प्रेम कोई गणित नही जो समझने पर समझ आएगा...प्रेम कोई पूजने योग्य नही जो नास्तिक आस्तिक अपना अपना पक्ष चुन सके।प्रेम अच्छा भी नही इतना कि हमेशा खुशी देता रहे और इतना खराब भी नही कि उसे डर के छोड़ दिया जाए।जैसे जीवन होता है न जिसका अंत पूरे जगत को जन्म से ही पता होता है फिर भी देखो कितना मोह होता है।हम छोड़ना नही चाहते न इस जीवन को।छूटती हुई चीज को कस के पकड़ना आदत होती है हम आदत से मजबूर लोगो की।ऐसे ही प्रेम है उतार चढ़ाव लिए स्थिर सा। अनिश्चित से परिणाम लिए शाश्वत सा।
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मुझे किताब दे कर
वो पिंजरों का व्यापारी
कैद पंछियों का दीवाना था
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लोगो की सारी बाते झूठी है.......
अगर मिल गया होता मुझे इश्क मेरा
तो
मैने भी प्रेम को ऑक्सीजन लिखा होता
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........ट्रेन.......
असीमित उम्मीदों का बोझ लिए चलने वाली।
और उसमे है भांति भांति के लोग......
असीमित अनपेक्षित व्यवहार को खुद में समेटे।
किसी को खुशी है की वो ट्रेन की गति की दिशा में जा कर पा लेगा अपनी मंजिल
किसी को इस बात का क्षोभ है की उसके साथ चल रही है बहुत भीड़,
इस भीड़ पर उसे है अथाह नाराजगी
क्युकी वो थक चुका है शायद अपने शुरू किए गए सफर से।
कुछ लोग मानसिक शांति के उच्च शिखर पर है
क्युकी उनके पास नही है अपनी कोई सीट...
पर वो अपने आप को उस "व्यक्ति" से ज्यादा सुखी महसूस कर रहे है
जो "व्यक्ति" लड़ रहा है किसी दूसरे से पाने के लिए एक अदद सीट।
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वो आज और हमेशा मेरा ही रहेगा
क्युकी संग गुजारा वक्त
वो किसी और का हो नही सकता
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मैने अभी तक समंदर नही देखा.....
पर मैने पर्वत देखे हैं..
ऊंचे विशाल बेतरतीब बेढंग से फैले
कोई आ कर इनके पास जरा सा आवाज क्या दे
ये खुशी से या जाने नाराजगी से,बोल पड़ते है
कई गुना ज्यादा तेज
हो सकता ये खुश हो जाते हो क्योंकि शायद ये अकेले हो
और इन्हे चाहिए हो कोई बात करने वाला
पर ये भी तो हो सकता है न कि इन्हे अच्छी न लगती हो दुनिया
इन्हे पसंद न हो एक साथ कई सारे मतलब समेटे लोगो की मीठी बाते
शायद इसीलिए ये नाराज हो कर चीखते हो दोबारा उसी इंसान पर
पर इंसान भी तो कितना विचित्र सा होता है न
इसे अपनी खुशी के आगे कहां समझ आएगा
किसी का हर्ष
किसी का विषाद
किसी का अकेलापन
किसी की उदासी
किसी की खामोशी
वो तो वापस से हंस देता है ये कह कर कि
अबकि बार थोड़ा और तेज बोलूंगा तब और मजा आयेगा.....
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बेशक अलग रास्तों के हम मुसाफिर हो गए
पर ये नही कह सकते कि हम जुदा हो गए
चाहती हूं कि क्या मलाल रखना मन में
जा तुझे भी मंजिल मिले इस जीवन में
पर मन ही मन चाहती हूं कि
हम दोनो को ही जिंदगी में पड़ाव तो मिले
पर मंजिल एक दूसरे कि हमेशा हम तुम ही रहे-