Ek Gumnam Shayar   (alfaj_e_gumnam)
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मैं पल दो पल का सायर हूँ
#Missyoumaa
Joined 21 November 2021


मैं पल दो पल का सायर हूँ
#Missyoumaa
Joined 21 November 2021
24 MAR AT 14:53

अपना होने की शिकायत जो करते हैं हमसे
दर हकीकत हमें अपना वो मानते नहीं
दिन-रात करते हैं अपनी महफिल में बुराई मेरी
उनको लगता है उनकी साजिशें हम जानते नहीं
लब हैं जुबां है अल्फाज भी हैं पास
मेरी खामोशी मेरा जर्फ है वो पहचानते नहीं
- कैफ तहसीन

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24 MAR AT 14:42

तुमने इस जिंदगी को हर तरह से सुख दिए
बदले में हमने तुम्हें हर कदम पे दुख दिए
जब से दुनिया को तू अलविदा है कह गई
ऐसा लगता है जिंदगी मेरी कहीं पे रह गई
खुशियों के लम्हे भी मुझको दर्द देतें हैं हजार
दिल तुम्हारी याद में रहता सदा है बेक़रार
जाने क्यों दुनिया है लगती अब मुझे अंजानी सी
अपनी हर एक चीज भी लगती है अब बेगानी सी
सिर पे बेटे के तेरे जब से तेरा हाथ नहीं
ऐसा लगता मेरा साया भी मेरे अब साथ नहीं
तेरे बाद अब मेरी प्यारी मां करुं हाल किससे मैं बयां
मैं तड़प रहा हूं रात दिन मेरा दर्दे दिल कोई जाने ना
है ये एक मेरी दुआ, करे मगफिरत तेरी खुदा
और तुम्हारी कब्र पर, बरसाए वो रहमत सदा
-कैफ तहसीन

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9 AUG 2024 AT 18:50

किसी को भूल जाना यूँ नहीं आसान होता है
कभी ठोकर भी लगती है वो चेहरा याद आता है
-कैफ तहसीन

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9 AUG 2024 AT 17:41

किसी के जाने का वो गम मुझे हर पल सताता है
बिना उनके मुझे ये ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती
-कैफ तहसीन

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26 JUL 2024 AT 11:06

ये दिलकश नजारे ये चमकते सितारे
बिना आपके न भाएं दिल को हमारे
-कैफ तहसीन

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11 JUL 2024 AT 13:52

टूटे दिल के हर टुकड़े से याद तुम्हारी आती है
याद तुम्हारी आने से आँखों में नमी आ जाती है
कुछ ऐसी कैफियत मनसूब हुई अब मुझसे
तुम बिन मिली हर ख़ुशी मुझको फ़क़त रुलाती है
-कैफ तहसीन

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28 MAR 2024 AT 14:51

ये ईद ये लिबास ये रौनक ये खुशियाँ
बिना आपके सब बेरंगी हैं
-कैफ तहसीन

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6 MAR 2024 AT 7:30

अपनी विलादत को मनाते हो अहले नसारा को देखकर
और मोहम्मदﷺकी विलादत पे तुम्हें बिदअत आती है नजर
- कैफ तहसीन

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29 FEB 2024 AT 18:30

Part 2
भेजा तुमको अशरफ बनाकर खुदा ने
क्या दीगर मखलूख तुमने न देखी जहाँ में
अच्छी सूरत और जिस्म अता है किया
कभी माजूर लोगों को देखो जरा
झुग्गियों में जाकर के देखो कभी
वहाँ भी बसर करती हैं जिंदगी
तंग गलियों में शहरों की जब जाओगे तुम
फुटपाथ पर लेटा लोगों को पाओगे तुम
तुम हबीबे खुदाﷺ के हो उम्मती
जिनके सदके में सारी दुनिया बनी
तुम मुकद्दर हो मिल्लत के ऐ नाज़नीं
ऐसा बन जाओ की नाज़ करे ये जमीं
शुक्र करते रहो बस खुदा का सदा
सोच से तेरी बढ़कर वो करेगा अता
-कैफ तहसीन

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29 FEB 2024 AT 18:10

Part 1
क्या जमाना है तुझसे रूठा हुआ
'कैफ' क्यों है तू इतना टूटा हुआ
इतने बेबस नहीं थे ज़माने में तुम
आज डिप्रेशन के हो दहाने पे तुम
क्या गुरबत ने तुम पे किए हैं सितम
या माँ की जुदाई का रहता है गम
या काबिलियत पे अपनी भरोसा नहीं
अपनी तारीख़ कहीं भूल गए तो नहीं
-कैफ तहसीन

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