Intezar.....
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थोड़ा-थोड़ा रोज मरती हूं तन्हा रातों में....
©Sav... read more
मिले बा-वफा इक यार के दुआं माँगी थी
दिल ने उसकी हर खुशी की दुआं माँगी थी
अब तो कुछ बूरा भी नहीं चाह सकते उसका
मैंने ख़ुद जिसकी सलामती की दुआ माँगी थी
भोलेनाथ तुम ही देना दिल को अब सबर मेरे
आज हमने उसे भूल जाने की दुआ मांगी थी..-
चाहत नहीं हमें तुमसे कुछ ज्यादा..
बस भूलने से पहले बेवजह
तुम याद आ जाया करो....
निकालने से पहले जां , जान हमारी
तुम दिल धड़का जाया करो...
नहीं हो साथ तो क्या हुआ.
यादों की खुशबू महका जाया करो...-
नहीं होती चाहत
औरतों की रूह को
मर्दों की देह की .....
वह तो चाहती है
अपने प्रेमी के सामने
एक नटखट सा
बच्चा हो जाना...
औरत चाहती है
उसका प्रेमी उसे बिल्कुल
उसी तरह संभाल ले
जैसे संभालता है
उसकी मासूमियत को
उसका पिता या भाई......-
लड़के खूबसूरत बातों का जाल बुनते हैं
और लड़कियां हसीन ख्वाब बुनने लगती हैं
लड़के कुछ दिनों बाद सब भूल जाते हैं
और लड़कियां....
सब भूल कर वही ठहरी रहती हैं
ताउम्र......बस यूं ही...-
तेरा मुझसे वादा था रोज ख्वाबों में ले जाने का
फिर क्यों तुमने सारे वादे तोड़ दिए...
(बेवफा कहीं की...😏)
आजकल ना तुम आती हो ना ख्वाब आते हैं...
जागती रातें यूं ही मेरे एहसासों को निगल जाती है..
न जाने कितने ख्वाब यूं ही मर जाते हैं.. बिन तेरे.
😌-
'एहसास ए रूह' की धूप रोज रोज खिलती नहीं..
पहली मोहब्बत जैसी फिर मोहब्बत मिलती नहीं
मिल तो जाएंगे साथी बहुत मन बहलाने को
'दास्तां ए सवी' जैसी कहीं इबादत मिलती नहीं
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चलना चाहो साथ तो लोग रास्ता छोड़ देते हैं...
मरना चाहो तन्हा तो लोग जिंदा छोड़ देते हैं...
आंखों में दरिया लिए लोग प्यासा छोड़ देते हैं...
मिल जाए इश्क़ तो लोग लिखना छोड़ देंते हैं....-