एक रात, एक बात लिखूंगा, ख़ुद को दाग़, तुझे साफ़ लिखूंगा ।।
हकीकत में तू कभी मिलेगा नहीं, एक किताब में अपनी मुलाकात लिखूंगा ॥-
सब लापरवाही कर सकते हैं पर मुझे सबने ज़िम्मेदार बना दिया है
मैं भूल कर भी गलती कैसे करूं सबने मुझे समझदार बना दिया है
नासमझी का कोई सवाल नहीं उठता सबने मुझे, होशियार बना दिया है
मैं चाह कर भी अपनी मनमानी कैसे करूं सबने मुझे उम्मीदों का, हिस्सेदार बना दिया है-
वनवास में विरह का दर्द उर्मिला से पूछो,
सीता से पूछोगे तो धर्म ही बताएगी
मोहब्बत का अर्थ राधा से पूछो,
रुक्मिणी से पूछोगे तो अधिकार ही बताएगी।
सेवा का मतलब श्रवण कुमार से पूछो,
हनुमान जी से पूछोगे तो आनंद ही बताएँगे
और ज़हर का स्वाद शिव से पूछो,
मीरा से पूछोगे तो अमृत ही बताएगी।-
आसान नहीं है हिन्दुओं को जगाना !
स्वयं 'श्री नारायण' को 18 अध्याय और 700 श्लोक बोलकर सुनाने पड़े, तब अर्जुन ने शस्त्र उठाये!!-
तिरस्कार यदि बार-बार अपनों से ही मिले तब शब्दों का विवाद उचित नहीं क्योंकि जो व्यक्ति आपके महत्व को ही नहीं समझा वो आपके शब्दों और भावनाओं को क्या समझेगा!!
-
When a person's needs change, his way of talking to you also changes.
-
इस मतलबी दुनिया में हर कोई बदल जाता है जब उनको कोई आपसे बेहतर मिल जाता है।
-
एक उलझा हुआ किरदार हूं मैं। शायद खुद का गुनाहगार हूं मैं। बस चले जा रहा हूं इस सफर में, न जाने किसकी तलाश में हूं मैं। ये तो नही पता कहां पहुंचुंगा, बस अब कहीं ठहर जाऊ इसी आस मे हूं मैं!!
-