Ek "आरज़ू "✨🦋   (#𝐚𝐚𝐬𝐡𝐮)
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Joined 12 October 2020


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Joined 12 October 2020
29 JAN 2022 AT 16:53

मुद्दतें हो गईं इस आइने को हँसे हुए 'आरज़ू'
और लोग कहते हैं कि तुम्हे जीने का सलीका नहीं आता!

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2 APR 2021 AT 20:27

{Conversation with God}

//captioned//

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1 MAR 2021 AT 15:04

मेरी गली से गुजरते वक़्त, आँखों में चश्मा लगा लिया कर!
इतना आसान नही बचना,
समंदर में डूब जाने के बाद!

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9 JAN 2021 AT 12:07


वो लम्हें, वो बातें, वो हमारा मिलना, इनको मोहब्बत नही बकवास कह दूँगी
वो अनकहे से मेरे ज़ज़्बात जो आज भी दफ़्न है तुम्हारी यादों में, मैं उनको मज़ाक कह दूँगी।।

ये हिचकियाँ जाती नही है, क्या तुम याद कर रहे हो मुझे?
इस बेवफाई के मंज़र में डूबी, मैं इन हिचकियों को भी इत्तेफाक कह दूँगी।।

मैंने भी बहुत ईज़ाद की उस आग की, जो तुम्हारी यादों को जला सके
वो जल तो नही पाई, फिर भी मैं उन्हे राख कह दूँगी।।

और पूछते हैं लोग, मोहब्बत का सितम ढाकर तुम्हे मिला क्या है "आरज़ू"
मैं उनके इस सवाल का जवाब, सिर्फ एक शब्द में ख़ाक कह दूँगी।।

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5 JAN 2021 AT 10:46

ना जाने किन हाथों से उन्होंने हमारे हाथों को हाथ लगाया कि हमें किसी गैर का हाथ अपने हाथ पर महसूस ही ना हुआ।।

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4 JAN 2021 AT 13:21

तुम देख रहे हो सपने, ऊँची उड़ान के।
और यहाँ तुम्हारे पंखो का "कत्ल" करतें है लोग..!

तुम्हारे गर्दिशों में कोई साथ नही देगा तुम्हारा।
और यहाँ सुखों में अपना "रब़्त" बताते हैं लोग..!

तुम जाओगे उनके पास अपने जख़्म पर मरहम लगवाने।
और यहाँ उन जख़्मों में भी "जख़्म" लगाते हैं लोग..!

तुम्हारे दर्द में बाहर से झूठे अश्क बहायेंगे वो।
और अंदर ही अंदर "जश्न" मनाते हैं लोग..!

रिश्ते अंजान से भी तुम शिद्दत से निभाती हो "आरज़ू "
और यहाँ खून का रिश्ता तक निभाने के लिए "शक्ल" देखते हैं लोग..!

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1 JAN 2021 AT 15:46

वो हर एक नियम, हर एक सिद्धांत पर सवाल खोजते है
और जो परिवर्तन ला दे, ऐसी सरकार खोजते हैं..!

अजीब है लोगों की शख़्सियत यहाँ, ख़ुद को देखते नही
और हमारी ख़ामियों में हमारा किरदार खोजते हैं..!

माँ के ममतायुक्त बेग़रज़ आँचल को ओढ़ने के बाद
पृथ्वी का सबसे आरामदेह संसार खोजते हैं..!

एक ऐसी ग़ज़ल जो अज़ल हो, लिख रहे हैं वो
और जो कभी ना छूटे ऐसा खुमार खोजते हैं..!

फ़रेब के ऊपर इश्फ़ाक़ का नकाब लिए
उनसे ज़्यादा ईमानदार कौन है, ऐसा ईमानदार खोजते हैं..!

आब-ए-चश्म अब आब-ए-तल्ख़ में बदल गए "आरज़ू"
और वो आज भी सच्चा प्यार खोजते हैं..!

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1 JAN 2021 AT 10:08

क्या है समस्या..?

(अनुशीर्षक पढ़े) 🌺

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31 DEC 2020 AT 17:25

इश्क़ गुनाह है, जानते हुए भी हम गुनाह कर गए..!
अपने ही हाथों,अपनी ज़िंदगी को तबाह कर गए..!

अरे, हम शायर नही थे.!
फिर भी लोग हमारी हर आह पर वाह कर गए..!

बावजूद इसके एक भी शायरी नही लिखी हमने ,
और सबसे बड़े शायर है हम, ऐसी लोग अफवाह कर गए..!

गवाही भी दे दी हमने, भरी अदालत में और उस गवाही को
झूठा साबित, कुछ टूटे हुए आशिकों के गवाह कर गए..!

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31 DEC 2020 AT 12:43

◦•●◉✿कविता✿◉●•◦
....................................
अपने स्वाभिमान की कलम से,
आज मैं,एक कविता अलंकृत करती हूँ।
कुछ नियति के तारों को,
आज फिर से झंकृत करती हूँ।।

🌺(पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़े।) 🌺

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