🅳éé🅿🅰🅽🆂🅷u 𝗽𝗮𝗿à𝘂𝗵𝗮   (𝕯éé𝖕𝖆𝖓𝖘𝖍𝖚 paràuha)
1.0k Followers · 1 Following

read more
Joined 9 September 2020


read more
Joined 9 September 2020

घर की बुनियादें दीवारें बाम-ओ-दर हैं पापा जी।
सबको बाँध के रखने वाला ख़ास हुनर हैं पापा जी।।

तीन मोहल्लों में उन जैसी क़द काठी का न कोई है।
अच्छे-ख़ासे ऊँचे पूरे क़द-आवर हैं पापा जी।।

अब तो उस सूने माथे पर कोरेपन की चादर है।
अम्मा जी की सारी सज-धज सब ज़ेवर हैं पापा जी।।

भीतर से ख़ालिस जज़्बाती और ऊपर से ठेठ पिता।
अलग अनूठा अनबूझा-सा इक तेवर हैं पापा जी।।

कभी बड़ा सा हाथ-ख़र्च में कभी हथेली की सूजन।
मेरे मन का आधा साहस आधा डर हैं पापा जी।।

-




गम ए दिल सुनाने को जी चाहता है।
तुम्हे आजमाने को जी चाहता है।।

सुना है कि जब से बहुत दूर हो तुम।
बहुत दूर जाने को जी चाहता है।।

उन्हें हमसे कोई शिकायत नहीं है ।
यूं हि रूठ जाने को जी चाहता है।।

फकत है यही उनकी नज़रों का धोखा।
कि धोखे में आने को जी चाहता है।।

हम चाहते हैं वो सौ बार रूठें।
उनको मनाने को जी चाहता है।।

भले वो न डालें कोई new post ‘parauha’।
फिर भी उनकी profile में जानें को जी चाहता है।।

-



जाना भी असंभव, लौट आना भी असंभव है।
असंभव छोड़ना और साथ लाना भी असंभव है।।

अजब एक द्वंद में मैं आ गया हूं अब जहां तुमको,
भुलाना भी असंभव है, और पाना भी असंभव है।।

तेरे सांचे में ढल जाऊँ, तो मिट जाऊँ मैं शायद।
मुझे अपने ही सांचे में बचाना भी असंभव है।।

न बातों में तसल्ली है, न खामोशी में राहत है,
जो महसूसात हैं, उनको जताना भी असंभव है।।

जो बंधन है, वो दिखता भी नहीं, टूटे भी कैसे?
न रुक पाना, न फिर पल भर ठहर जाना — असंभव है।।

न दूरी में सुकूँ है अब, न नज़दीकी में चाहत है,
किसी बेनाम रिश्ते को निभाना भी असंभव है।।

अगर कह दूँ तुझे अपना, तो फिर दुनिया नहीं माने,
और यूँ सबसे छुपाकर मुस्कुराना भी असंभव है।।

-



जब तुम को ही सावन का संदेसा नहीं बनना।
मुझ को भी किसी और का रस्ता नहीं बनना।।

Egoistic है इतनी कि कभी msg तक नहीं लिखती।
कहती है मुझे औरों के जैसा नहीं बनना।।

इस तरह के लब कौन तराशेगा दोबारा।
इस तरह का चेहरा तो किसी का नहीं बनना।।

चेहरे पे किसी और के मेरी पलकें न झुकेंगी।
मेरी आँखों में किसी और का नक़्शा नहीं बनना।।

मैं सोच रहा हूँ कि मैं हूँ भी कि नहीं हूँ।
तुम ज़िद पे अड़ी हो कि किसी का नहीं बनना।।

इंकार तो यूँ करती है जैसे कि कभी भी।
छाँव नहीं बनना उसे साया नहीं बनना।।

इस दर्द में भी ख़ामोश रहते हैं हम क्योंकि।
चुप-चाप बिखरना है तमाशा नहीं बनना।।

उस ने मुझे रखना ही नहीं आँखों में parauha'।
और मुझ से कोई और ठिकाना नहीं बनना।।

-



लहज़ा ए यार में ज़हर है बिच्छू की तरह।
वो मुझे आप तो कहता है मगर तू की तरह।।

तेरा चेहरा मेरी निगाहों से यूं उड़ने लगा है।
किसी वाहियात परफ्यूम के खुशबू की तरह।।

ये निगाहें, ये नाज़ुक होंठ और गाल में ये तिल।
असर करते थे हम पे काले जादू की तरह।।

आपके नाम से इस तरह मैंने ख़ुद को बदनाम किया है।
किसी शरीफ शक्स के हाथों में रखी सुबू की तरह।।

ज़ख्म भर जाएगा मगर दाग रहेगा उम्र भर ऐसे।
पुराने लिबाज़ में किए गए रफू की तरह।।

आपको कैद ए एकतरफा मुहब्बत से हम आज़ाद करते हैं।
किसी हल हो चुके सियासी मसाइल के गुफ्तगू की तरह।।








-



कार–ए–नुमाया एक और इस साल कर लिया।
सब लोग सोचते हैं कि जंजाल कर लिया।।

सिक्का सा चल रहा है, इस दिल में तुम्हारा।
यानी कि दिल दिल नहीं रहा, टकसाल कर लिया।।

तुम्हें देखे बिना कट जाएगा आराम से ये हफ़्ता।
इतना रिचार्ज आंखों में बहरहाल कर लिया।।

हमारी दिल की दिल्ली में जो राजस्थान पसरा था।
उसे भी हमनें तज़ुर्बे नैनीताल कर लिया।।

-



नव पल्लवित कुशुम की हंसी की तरह।

तारापथ के किसी उर्वशी की तरह।।

मैं हरिश्चंद्र घाट का वैराग्य हूं।

तुम अल्हड़ हो वाराणसी की तरह।।

-



नई उम्रों की नस्लें होती हैं, अक्सर दिलफेंक जवानी में।
हमनें तुझको कब रोका था,सपने देख जवानी में।।

एक ज़रा सी बात को लेकर इतना न संजीदा हो।
सबसे मुमकिन हैं हो जाए ,गलती दो एक जवानी में।।

अनबन,झगड़ा, और मायूसी मीठी धूप हैं ठंडी की।
तू भी अपनी दुखती रग को जी भर सेक जवानी में।

IAS का झंझट पाला, और मोहब्बत भी करते।
हमनें दो दो ज़ुल्म किए हैं अपनी एक ज़वानी में।।

-



तुम मुकुट विहीन शासिका हो इस हृदय अभेद्य की।

या मुक्त अश्व हो किसी के अश्वमेध की।।

मैं काशी का एक घाट हूं, मणिकर्णिका।

तुम गंगा आरती हो दशाश्वमेध की।।

-



कलयुग ये कैसी उल्टी गंगा बहा रहा है।
माता पिता को श्रवण ठोकर लगा रहा है।।

कैसे लिखेगा कोई फिर से महान भारत।
इस देश का अर्जुन सट्टा लगा रहा है।।

पहले था एक रावन और एक ही थी सीता।
अब हर गली में रावन सीता चुरा रहा है।।

मज़दूर का एक बेटा रोटी को तरस रहा है।
मुनीम जी का कुत्ता रबड़ी को खा रहा है।।

-


Fetching 🅳éé🅿🅰🅽🆂🅷u 𝗽𝗮𝗿à𝘂𝗵𝗮 Quotes