TO MY LOVE
सुखे पत्तो की तरह बिखरा था मैं,
बडे़ अनुराग से उसने समेटा मुझे।
रंजिश की मेहफिल में निकला था मैं,
खुशीयों की मेहफिल में वह खीचलाई मुझे।
गम की दुनिया में रहता था मैं,
हंसी के घरो में वह ले आई मुझे।
हमारी पिछली मुलाकात के बाद,
मेरे हर प्रहर में, मेरी हर घड़ी में,
उसकी याद आई मुझे।
यहाँ – वहाँ भटकता रहता हुँ,
कही तो मिल जाओ मुझे.......
एक झलक तो दिखलाओ,
इतना मत तड़पाओ मुझे।
- D. Y. Surti