15 MAY 2019 AT 17:34

इल्तिजा

होंठों को मुस्कान से सजा लिया,
जब मेरे लबों से तूने अपना नाम मिटा दिया।

एक ख्वाहिश थी मेरी,
इल्तिजा करूं तुझसे,

बता क्यों तूने हाथों से अपने,
इश्क का नाम मिटा दिया?

हम सिर्फ आशिक ही नहीं हाफ़िज़ थे तेरे,
ना जाने किन किताबों में तूने सब दफना दिया।

- D. Y. Surti