आंसू
आंसू छुपा लिये थे उस दिन हमने,
चाहता तो उसे रोक सकता था।
मैं आज भी यह सोचता हूँ कि उसे जाने क्यों दिया?
बिखरे टुकड़ों को मैं जोड़ सकता था।
याद उसको मैं अब आता नहीं,
साथ क्यों उसका मैं अब पता नहीं।
यार नहीं मेहरम था वो मेरा,
हाथ क्यों उसका मैंने उस वक्त थामा नहीं।- D. Y. Surti
24 APR 2019 AT 19:20