ये ज़माना जो रूठा हुआ है
बता दो ज़रा इसे हम सिर्फ
अपने मेहबूब को मनाते है..❣️-
Nothing special to tell..............................
मेरी अनकही मोहब्बत
किसी और की हो गई..
और हमसे कहते थे
तुम्हारे बोलने से पहले
हम सब समझ जाते है-
एक मोहब्बत मैं भी लिखता हूं
उसमें मैं ख़ुद को लिखता हूं
तुम तो मेरे हुए नहीं चलो
तुमको ख़ुद में ही महसूस करके
ख़ुद से मोहब्बत करता हूं
एक मोहब्बत मैं भी लिखता हूं....-
अब दुआओं में क्या ही मांगू
खुदा ने छीना भी वही है
जिसे दुआओं में मांगा करते थे-
जो कभी अपना था
आज वही अंजान है
जो शख़्स मेरी खुशी था
आज वही आंसू का कारण है
वक्त वक्त की बात है
जब सब थे तब भी अकेला था
आज नहीं है तो लगता है सब है-
आंखों में नमी, चेहरे पर झूठी हंसी
जब कोई पुछे कैसा हूं मैं?
बस ठीक हूं, यही बोल रहा हूं मैं
ख़ुद में ही कितना अकेला हूं मैं...-
मुझसे कुछ कहना चाहती हो
ये मेरी सिर्फ़ कल्पना है या
तुम मुझे आज भी याद करती हो..-
मुझसे ना करो इतनी बातें
की मैं ख़ुद को ही भूल जाऊं।।
बड़ी मुश्किल से ख़ुद से मिला हूं
फिर से कही खो ना जाऊं।।
तुम्हें किसी ओर के साथ देखकर
फिर से कही टूट ना जाऊं ।।
मुझसे ना करो इतनी बातें....-
उसके लिए हर शख़्स एक जैसा था
हम ही पागल थे ख़ुद को ख़ास समझ बैठे ❤️🩹-