Dushyant Kumar   (दुष्यंत कुमार)
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Joined 15 April 2018


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Joined 15 April 2018
15 MAR 2021 AT 2:09

चलो ज़िंदगी को थोड़ा अलग करते है,
कुछ तुम बदलो कुछ हम बदलते है।

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11 MAR 2021 AT 23:38

क्या इश्क काहू मैं उसे जो अकेले में बैठ कर याद आए,
मुर्शद इश्क वो है जब याद उसकी महफ़िल में सताए।

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9 MAR 2021 AT 1:44

ये बाला क्या इश्क़ है के सितम किए जा रही है,
मोहब्बत है भी और नहीं भी है मगर हुए जा रही है,
ये उसके कुछ निशान है मुझ पर कुछ नही भी है,
कुछ मिट भी गए है कुछ छिपाए जा रहे है,

वो यूं इश्क का सितम भी कुछ यू किए जा रहे है
मेरे शहर आए भी है और वो दूर भी जा रहे है,
कैसे याद धुंली पड़ने लगी हैं उनकी,
बेवफ़ा वो नही तो क्या हम खुद से किए जा रहे है
क्या इश्क के सितम बस हम पर किए जा रहे है

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9 MAR 2021 AT 1:22

तेरा मुझे यू अपना बताना और,
फिर भरी महफ़िल में यू मुकर जाना,
क्या यही होता है इश्क जताना,

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2 MAR 2021 AT 1:46

मालूम ना था कुछ पलों में बिक जायेगा इश्क मेरा,
नीलामी होगी भरे बाज़ार खरीदा जायेगा इश्क़ मेरा,

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21 FEB 2021 AT 0:39

क्या वजह कुछ और तो नहीं
तेरे यू जल्दी चले जाने की,
ये हिजर की रात थी क्या,
तुम उसकी बहाओ के घेरे में रहोगी
रुको ये मेरी आखिरी सांस है क्या।

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4 FEB 2021 AT 0:12

क्या ही शिकायत करू मैं तुझे उसकी ए खुदा,
कुछ सोच कर ही तूने उसे ज़िंदगी मेरी बनाया होगा।

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21 JAN 2021 AT 0:37

क्या उसे पसंद है उसकी बाहों का घेरा जो उसके करीब है,
ये उसे यू देख कर मुझे क्यों सांस आता नहीं।

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20 JAN 2021 AT 3:13

वो काली गहरी ठंडी रातें फिर तेरी यादों को आना,
अरे मै तो इनमे डूबने ही लगा,
लो इन रातों से भी मुझे इश्क बेशुमार होने लगा।

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20 JAN 2021 AT 1:48

मुर्शद तूझे याद किया तो क्या गलत किया,
एक तू है के मिलने आता भी नहीं।

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