Dushyant Kumar   (दुष्यंत कुमार)
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Joined 15 April 2018


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Joined 15 April 2018
4 JAN 2022 AT 21:20

रकीब के महेंगे तोफो तले दब के रहे गया इश्क मेरा,
मैं पाई पाई जोड़ता रहा एक आशियां बनाने को।

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26 NOV 2021 AT 21:05

उसके दिल पर लगे निशान किसी की हवस के थे,
देख कर इतना डर गया मैं,
के फिर उसे कभी छुआ भी नहीं।

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25 OCT 2021 AT 3:09

क्या देख रहा है कुमार मेंहदी उनके हाथो मे,
तेरे इश्क का जो रंग है अब फीका पड़ने लगा है।।।।

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3 APR 2021 AT 8:34

खुश इतना है तू मेरे बिना,
बता कैसे तेरी जिंदगी में खलल डाल दूं मैं।

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26 NOV 2021 AT 1:02

इश्क क्या है अगर पता होगा तो दर्द को समझ पाओगे,
रकीब की बाहों में मेहबूब को देख लो एक मर्तबा,
ना जी पाओगे न मर पाओगे।

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26 NOV 2021 AT 0:59

आंखे देकर खूबसूरत इस दुनिया से यूं मिला दे
खुदा मां जैसे प्यार करना मुझको भी सीखा दे।
जन्म तो लिया ही नही अभी फिर प्यार क्यों है,
ये कैसा तेरा इश्क है मां ये इतना अंधा क्यों है।।।।

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26 OCT 2021 AT 0:17

कुछ दिन रुको तुम्हें तुम्हारे तरीको से मिलवाउगा,
शाम होगी मेरे शहर में भी, दो जाम में भी उठाऊंगा।

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21 SEP 2021 AT 0:12

जो तुम्हारे पंख कुतरते है, वो अपनों की फितरत है,
तुम बाज की फितरत अपना लो,जमीन पर हो या आसमां में,
पिंजरों में कैद नहीं होता,

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19 SEP 2021 AT 2:47

There are the two things all people needed "friends" and "love" but the both came from one "FAMILY"

WHEN YOUR FRIENDS BECOME FAMILY
&
FAMILY BECOME YOUR FIRST LOVE.

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15 SEP 2021 AT 1:18

अपने शब्दों को लिख कर मिटा देना भी एक कला है,
जिसे इश्क करो उसे इश्क जता देना भी एक कला है,
बीच रास्ते में छोड़ देना तुम्हारी आदत है,
मुर्शद,,, इश्क भी कमाल है इश्क भी क्या बला है।।।।।

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