रकीब के महेंगे तोफो तले दब के रहे गया इश्क मेरा,
मैं पाई पाई जोड़ता रहा एक आशियां बनाने को।-
उसके दिल पर लगे निशान किसी की हवस के थे,
देख कर इतना डर गया मैं,
के फिर उसे कभी छुआ भी नहीं।
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क्या देख रहा है कुमार मेंहदी उनके हाथो मे,
तेरे इश्क का जो रंग है अब फीका पड़ने लगा है।।।।
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खुश इतना है तू मेरे बिना,
बता कैसे तेरी जिंदगी में खलल डाल दूं मैं।-
इश्क क्या है अगर पता होगा तो दर्द को समझ पाओगे,
रकीब की बाहों में मेहबूब को देख लो एक मर्तबा,
ना जी पाओगे न मर पाओगे।-
आंखे देकर खूबसूरत इस दुनिया से यूं मिला दे
खुदा मां जैसे प्यार करना मुझको भी सीखा दे।
जन्म तो लिया ही नही अभी फिर प्यार क्यों है,
ये कैसा तेरा इश्क है मां ये इतना अंधा क्यों है।।।।-
कुछ दिन रुको तुम्हें तुम्हारे तरीको से मिलवाउगा,
शाम होगी मेरे शहर में भी, दो जाम में भी उठाऊंगा।
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जो तुम्हारे पंख कुतरते है, वो अपनों की फितरत है,
तुम बाज की फितरत अपना लो,जमीन पर हो या आसमां में,
पिंजरों में कैद नहीं होता,
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There are the two things all people needed "friends" and "love" but the both came from one "FAMILY"
WHEN YOUR FRIENDS BECOME FAMILY
&
FAMILY BECOME YOUR FIRST LOVE.-
अपने शब्दों को लिख कर मिटा देना भी एक कला है,
जिसे इश्क करो उसे इश्क जता देना भी एक कला है,
बीच रास्ते में छोड़ देना तुम्हारी आदत है,
मुर्शद,,, इश्क भी कमाल है इश्क भी क्या बला है।।।।।-