पिछले कुछ दिनों में ऐसे बदले हैं हम।
कुछ को दिल से भाये हैं,
कुछ को बुरे लगने लगे हैं हम ।
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जिम्मेदारियाँ #
मसला ये नहीं की रातों को नींद नहीं आती।
मसला ये है दुष्यन्त, कि क्यों नहीं आती।।-
एक चाय, शाम और तुम्हारा साथ हो।
मानो जैसे जिंदगी के सारे ख्वाब पूरे हो जाए।-
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पर अब समय बदल चुका है।
मनुष्य की कोई वैल्यू नहीं,
अब सारा मामला रुपया-पैसा का है।-
पद से मिली मान-सम्मान प्रतिष्ठा कब तक चलेगी ?
चाहिए मान-सम्मान असल में,तो अच्छे कर्म कर ।
मरने के बाद पद का नहीं,कर्मो का बखान करते हैं लोग। - #दुष्यन्त_मुरादाबादी ।
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Ye chand ye tare or bo nadiyo ke kinare
Jaha ham betha krte the
Gawah rahenge ishq ke hamare
chahe tum kahi bhi chale jao ya kitna bhi dur chale jao
Jab jab dekhoge ye chand ye tare or nadiyo ke kinare
Yaad karoge ishq ko hamare-
एक जमाना हो गया .....
जब माँ ने निवाला खिलाया था
बापू की डांट ने रुलाया था
भाई बहन ने हँसाया था
अब तरसता हूँ सूरते देखने को सबकी
अब तो घर जाने की फुर्सत ही नहीं मिलती
हो जाता हूँ उदास सोचकर बचपन की यादें
कोई कर दे करिश्मा तू , मुझे बचपन से मिला दे
थोड़ा ही सही मुझे.......
मेरी किस्मत लिखने का हक दिला दे-
जमाने से नहीं,खुद से हारा हूं मैं ।
इन अंजान गलियों का चौबारा हूं मैं ।।
ना कोई पहचान,ना नाम है मेरा ।
अपने ही हालातों का मारा हूं मैं ।।-
जब तू मंजिल पायेगा।
रख अपनी मेहनत पर भरोसा,
तू अपनी किस्मत को भी हराएगा।-