तुम्हारे न आने की हज़ार वजहों के बावजूद
मैं दोपहर और शाम के संधि समय
विक्टोरियन लैंप पोस्ट के बगल वाले
उसी पेड़ की छांव में खड़ा रहूंगा हर रोज़
जिस सूखे पेड़ को
जलाने की बात होने लगी थी
और उसकी एक कमज़ोर शाख पर
एक हरी कोंपल उग आई थी
चैत के उस पहले दिन जब हम साथ थे।
मुझे कभी विस्मृत न होगी,
उस हरेपन से उपजी
तुम्हारी आंखों की चमक!-
Poet, Ficti... read more
आप साथियों के बीच बहुत दिन बाद आया हूं,
मेरे YQ का लॉग इन नहीं हो पा रहा था।
इस बीच नई किताब पेंगुइन से आई है -
किस्से कॉफियाना। कहानियों का संग्रह है।
अमेजन आदि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर है।-
प्रेम कविता लिखना
पोस्टकार्ड पर प्रेमपत्र लिखना है
सब पढ़ लें,
समझे कुछ,
और महसूस करे बस वही एक।
कमबख्त!!-
आज की रात
लिखनी है कविता
तुम्हारे होठों के दो मुलायम कागज़ों पर
अपने होठों को कलम बनाकर।
मेरे कातर विरह का गान
तुम्हारी आत्मा तक पहुंचेगा।
डर है कि कहीं छिल न जाए
कलम की नोक से तुम्हारी कोमल आत्मा।-
कितना कुछ था
जो सिर्फ प्रेमपत्रों में
लिख सकते थे हम।
कितना कुछ है
जो सिर्फ मिलने पर
पास बैठकर ही
कहा जा सकता है
कितना कुछ है
जिसके
ना कहे जाने में ही प्रेम है।-
तुमने ड्राइव करते हुए
हर रेड लाइट पर रुकते हुए
सीट बेल्ट ढीला करते हुए
ग्रीन लाइट होने से
कुछ क्षण पहले तक
चूमा मुझे।
तुम्हारे बगल में बैठे हुए मैं।
ये यात्राएं कभी यहीं तक नहीं रुकीं।
अंतरंगता के चंद्रमा को
जी भर छुआ हमने।
घूमा हमने ब्रह्मांड:
तीव्र, मद्धम, तीव्र।
मत पूछना कि
क्यों नहीं सीखा मैंने
चौपहिया चलाना!-
हमने किया प्रेम
ऐसे प्रेम के साथ
जो अधिक था प्रेम से।
- एडगर एलन पो
अनुवाद:-
तुम
बुकशेल्फ में किताब की बात करती हो!
मैं तो मोबाइल में
एप की पोजिशन हिलने नहीं देता,
BTW, हिल जाए तो विचलित हो जाता हूं।
सोचो, तुम्हे दिल में कैसे सहेजकर रखता हूँ मैं!-
तुमने कहा कि
तुमसे मिलने आऊंगी।
तुमने नहीं कहा कि
नवम्बर में आऊंगी।
फिर ये कमबख़्त नवम्बर
क्यों आया है ?-
गंगा के घाट की सीढ़ियों पर
बैठकर तुमने पढ़ ली थी
मेरी किताब एक सांस में।
एक सांस में ले लिए
अनगिनत चुम्बन
एक सांस में जुड़ गई
दो आत्माएं।
किताब को चूमना
उसके लेखक के होंठ
चूमना नहीं होता
होता है चूमना
लेखक की आत्मा को।-