Dush Yant   (© दुष्यंत dushyantlive)
3.3k Followers · 573 Following

read more
Joined 6 November 2016


read more
Joined 6 November 2016
13 APR AT 11:36

तुम्हारे न आने की हज़ार वजहों के बावजूद
मैं दोपहर और शाम के संधि समय
विक्टोरियन लैंप पोस्ट के बगल वाले
उसी पेड़ की छांव में खड़ा रहूंगा हर रोज़
जिस सूखे पेड़ को
जलाने की बात होने लगी थी
और उसकी एक कमज़ोर शाख पर
एक हरी कोंपल उग आई थी
चैत के उस पहले दिन जब हम साथ थे।

मुझे कभी विस्मृत न होगी,
उस हरेपन से उपजी
तुम्हारी आंखों की चमक!

-


10 APR AT 11:22

आप साथियों के बीच बहुत दिन बाद आया हूं,
मेरे YQ का लॉग इन नहीं हो पा रहा था।

इस बीच नई किताब पेंगुइन से आई है -
किस्से कॉफियाना। कहानियों का संग्रह है।
अमेजन आदि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर है।

-


9 APR AT 20:24

प्रेम कविता लिखना
पोस्टकार्ड पर प्रेमपत्र लिखना है
सब पढ़ लें,
समझे कुछ,
और महसूस करे बस वही एक।
कमबख्त!!

-


8 APR AT 14:41


आज की रात
लिखनी है कविता
तुम्हारे होठों के दो मुलायम कागज़ों पर
अपने होठों को कलम बनाकर।

मेरे कातर विरह का गान
तुम्हारी आत्मा तक पहुंचेगा।

डर है कि कहीं छिल न जाए
कलम की नोक से तुम्हारी कोमल आत्मा।

-


9 JAN 2023 AT 20:24


कितना कुछ था
जो सिर्फ प्रेमपत्रों में
लिख सकते थे हम।
कितना कुछ है
जो सिर्फ मिलने पर
पास बैठकर ही
कहा जा सकता है
कितना कुछ है
जिसके
ना कहे जाने में ही प्रेम है।

-


29 DEC 2022 AT 17:38

तुमने ड्राइव करते हुए
हर रेड लाइट पर रुकते हुए
सीट बेल्ट ढीला करते हुए
ग्रीन लाइट होने से
कुछ क्षण पहले तक
चूमा मुझे।
तुम्हारे बगल में बैठे हुए मैं।
ये यात्राएं कभी यहीं तक नहीं रुकीं।
अंतरंगता के चंद्रमा को
जी भर छुआ हमने।
घूमा हमने ब्रह्मांड:
तीव्र, मद्धम, तीव्र।
मत पूछना कि
क्यों नहीं सीखा मैंने
चौपहिया चलाना!

-


29 DEC 2022 AT 16:18

हमने किया प्रेम
ऐसे प्रेम के साथ
जो अधिक था प्रेम से।
- एडगर एलन पो

अनुवाद:

-


29 NOV 2022 AT 8:00

तुम
बुकशेल्फ में किताब की बात करती हो!
मैं तो मोबाइल में
एप की पोजिशन हिलने नहीं देता,
BTW, हिल जाए तो विचलित हो जाता हूं।

सोचो, तुम्हे दिल में कैसे सहेजकर रखता हूँ मैं!

-


22 NOV 2022 AT 12:29

तुमने कहा कि
तुमसे मिलने आऊंगी।

तुमने नहीं कहा कि
नवम्बर में आऊंगी।

फिर ये कमबख़्त नवम्बर
क्यों आया है ?

-


9 NOV 2022 AT 19:27


गंगा के घाट की सीढ़ियों पर
बैठकर तुमने पढ़ ली थी
मेरी किताब एक सांस में।
एक सांस में ले लिए
अनगिनत चुम्बन
एक सांस में जुड़ गई
दो आत्माएं।

किताब को चूमना
उसके लेखक के होंठ
चूमना नहीं होता
होता है चूमना
लेखक की आत्मा को।

-


Fetching Dush Yant Quotes