मोहब्बत हो बस तुझसे हीं बार बार
ऐ मेरे हमनफ़स तु बस खत्म कर दे ये इंतजार
आजा बाँहों में और मिल जाये मुझे करार.....!!-
कोई तो हो जो थाम ले हाथ और इल्जाम ले मोहब्बत का मेरा
उसका दिल हो पता मंजिल का मेरा ,
और बन जाये वो एक राज कुछ इस तरह मेरी धडकन का
वजह बने मेरी झुकते पलकों का ,अदा बने मेरी हर एक हँसी का
दिल का मेहमान नहीं वो, एक खुशबू मेरी हर साँस का....-
मोहब्बत में ना तो बगावत होती है ना हीं सौदेवाजी होती है
मोहब्बत में ना तो कोई शहंशाह होता है और ना हीं कोई गुलाम
होता है तो महबूब का
बेवक्त इकरार...
बेइंतिहा एतवार...
बेशुमार प्यार...
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हम तो आज भी तुमसे मोहब्बत करते हैं....
हाँ ! वो बात अलग है कि अब मुलाकात बस ख्याबों में होती है
हम तो आज भी तेरे नाम की चुडी खनकाया करते हैं....
हाँ ! वो बात अलग है कि अब आँखों के काजल तेरे यादों के साथ धुल जाती है
...@durgesh nandini
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मोहब्बत में अगर कोई कुर्बान हो जाये
तो अपना जनाजा खुद ही अपने कंधों पे उढाना पडता है..-
ये मोहब्बत होती हीं है चीज ऐसी ...
मिल जाये तो इश्क़ खुदा है,ना मिले तो महबूब झुढा है..!!-
मैं इतराती हूँ या तेरी चाहत है..
कि ऐतबार तेरे दिल की जिसे कहते इबादत है...!!-
अब कुछ बचा नहीं छुपाने को जिंदगी में,
जख्म दिखने लगी है दरारों से
बोछ लगने लगी है उम्र जिंदगी की,
रंगत मिट गयी है मानो नजारों से
नाम लिखी थी जिसकी हथेलियों पे
छुडा गया वो चाकु की धार से
अब कुछ बचा नहीं छुपाने को जिंदगी में...
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शब-ओ-रोज लिखती हूँ...
ऐ मेरे हम-नफ़स तेरे नाम का एक नज्म लिखती हूँ..
इश्क़ बेशुमार है तुझसे पर शिकायतें भी हजार लिखती हूँ..
तुझे मालुम नहीं अंदाज-ए-हकीकत..
तेरे इश्क में ऐ मेरे महबूब खुद-ब-खुद ख्यालों में ही फना हो जाती हूँ..!!
(शब-ओ-रोज =night and day)
(हम -नफ़स =intimate companion)
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गज़ब करती हूँ मैं भी...रोज तेरे हो जाने के ख्वाब देखती हूँ..
तन्हाईयों में सपने बुनती हूँ, खामोशीयों में तुम्हें महसूस करती हूँ..
क्या हकीकत कहूँ...हर वक्त बस तेरी हो जाती हूँ !!-